Sunday 7 July 2013

अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान-

 


झारखंड : समझौते की आड़ में नंगा नाच !

महेन्द्र श्रीवास्तव  
पाका घौता आम का, झारखंड बागान |
अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |

रंजिश राग भुलान, भला हेमंत भीग ले  |
दिल्ली तलक अजान, साथ में कई लीग ले |

बंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
हो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका ||


My ImageAuthor Kiran Maheshwari

पाये अध्यादेश से, भोजन जन गन देश |
चारो पाये तंत्र के, दिये हमें पर क्लेश |


दिये
हमें पर क्लेश, दिये टिमटिमा रहे हैं |
हुआ तैल्य नि:शेष, काल ने प्राण गहे हैं |


है आश्वासन झूठ, मूठ हल की जब आये |
पाये हल हर हाल, जियें मानव चौपाये ||

घोंघा- सी होती जाती हैं स्त्रियाँ ....


वाणी गीत
 रहो सुरक्षित खोल में, डोल रही निश्चिन्त |
खोल खोल के गर चले, दशा होय आचिन्त्य |

दशा होय आचिन्त्य, सोच टेढ़ी सामाजिक |
दिखे पुरुष वर्चस्व, घटे दुर्घटना आदिक |

नहीं बदलती सोच, आज तक रही प्रतीक्षित |
मत खोलो हे मातु, खोल में रहो सुरक्षित ||


यही बुद्ध की शान, घाव खाकर भी ताजे -

वामयान विध्वंस कर, तालिबान हकलान |
बोध-गया में आज फिर, कौन घुसा नादान |

कौन घुसा नादान, मसीहा शांत विराजे |
यही बुद्ध की शान, घाव खाकर भी ताजे |

कर देते हैं माफ़, माफ़ ना खुदा करेगा |
हो जाओगे साफ़, सजा वो ही अब देगा ||

 

9 comments:

  1. कमेंट के रूप में सभी कुण्डलियाँ बहुत सुन्दर हैं!
    आभार!

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  2. सभी कुण्डलियाँ बहुत लाजवाब हैं!

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  3. यहां स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
    अच्छे लिंक्स संजोये हैं..

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  4. आपकी यह रचना कल मंगलवार (09-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ८ /७ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

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  6. बंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
    हो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका ||

    वाह जी वाह !

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  7. त्वरित टिप्पणी शानदार |
    मेरी रचना पर टिप्पणी अच्छी लगी |
    आशा

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