Monday 16 February 2015

आज वही माँ-बाप, भटकते मारे मारे-


हारे पापा हर समय, रहे जिताते पूत |
मुड़कर पीछे देखते, बिखरे पड़े सुबूत |

बिखरे पड़े सुबूत, आज नाराज विधाता |
हर दुख से हर बार, उबारी अपनी माता |

आज वही माँ-बाप, भटकते मारे मारे |
कह रविकर घबराय, परस्पर बने सहारे || 

7 comments:

  1. दुखद है ऐसी स्थिति

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  2. बहुत दुखद स्थिति है, जिन्होंने बच्चों के लिए सब कुछ किया..पर बच्चों ने कृतघ्नता के अतिरिक्त कुछ नहीं दिया।

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  3. ईश्वर साथ है
    माँ बाप के हमेशा
    फिर भी
    पुत्रों को आशीर्वाद है
    हमेशा फिर भी :)

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  4. sundar rachna...............
    Come to my blog and read hindi poems written by Rishabh Shukla (me).

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/?m=1

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  5. बहुत खूब कही रविकर भाई .मुबारक .

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  6. बहुत खूब कही रविकर भाई .मुबारक .

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  7. bhagwan ke rup me maa-bap hamesha sath hain....

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