tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post3977722216139241789..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-11198659739421994842012-09-27T12:52:11.043-07:002012-09-27T12:52:11.043-07:00beautiful links
good luck for ganga damodar blogge...beautiful links<br />good luck for ganga damodar bloggers association<br /> होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ ।<br />चढ़े चढ़ावा ढेर, गिनें आयोजक रोकड़ <br />बहुत बढिया<br /><br />SMhttps://www.blogger.com/profile/08421656022621802223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-22644771733388144472012-09-26T19:25:45.555-07:002012-09-26T19:25:45.555-07:00Virendra Kumar SharmaSeptember 27, 2012 7:54 AM
दो...Virendra Kumar SharmaSeptember 27, 2012 7:54 AM<br />दोस्त आपने मामला पूंछ का सुलझा दिया है .सीढ़ी पूंछ वाला स्वान दिखाके .आज से आपकी "पूछ "बढ़ गई समझो .एक सच्चा वाकया सुन लो .बात नोइडा (पश्चिमी उत्तर प्रदेश )के २६ सेकटर की है .हमारी बड़ी बहन रहतीं हैं वहां सो अकसर जब दिल्ली जातें हैं वहां भी आ जातें हैं .एक मर्तबा हमने देखा -एक स्वान बिना टांग उठाए मूत रहा था . <br /><br />हमसे रहा न गया .हमने मालिके स्वान से पूछा वाह भाई साहब यह बिना टांग उठाए ही मूत रहा है .कहने लगें इंटेलिजेंस है इसकी .<br /><br />तो साहब छूट तो बान भी सकती है ,भारत में ईमानदारी भी आ सकती है ,तपन वाले चंद लोग चाहिए जिन्हें केजरीवाल न बनाया जा सके ,सताया न जा सके .<br /><br />कुत्ते की पूंछ <br /><br />मसला पूंछ का <br /><br /><br />ReplyDelete<br />Add commentvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-78178685396501333332012-09-26T19:16:32.494-07:002012-09-26T19:16:32.494-07:00दोस्त यही मोहब्बत ,यही प्यार जो आपने ज़ाहिर किया ह...दोस्त यही मोहब्बत ,यही प्यार जो आपने ज़ाहिर किया हमसे दिन रात काम करवाता है .आप हमारे लेखन की आंच में समिधा डालतें रहें ,मार्ग निर्देशन करतें रहें .<br />सामग्री निकालेंहटाएंस्पैम50<br />4627 में से 1-50 1<br /><br />अरे-अरे वीरु जी आप कहाँ मीडिया टाइप लोगों के चक्कर में पड कर अपने अनमोल ब्लॉग पर इस प्रकार के लेख लगा रहे हो,मीडिया के लोगों व लेख के चक्कर में ना पडे। इनका अधिकतर विश्वास समाप्त हो गया है। आप अपनी मेडिकल सम्बंधी लेख लगाते रहे। अपना नेक कार्य करते रहे। मेरी संगत अच्छी है पर<br />सामग्री निकालें | हटाएं | स्पैमvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-73305057043468887002012-09-26T19:14:15.320-07:002012-09-26T19:14:15.320-07:00सुप्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी !
आपने जो उत्तर दिय...सुप्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी !<br /><br />आपने जो उत्तर दिया उसका स्वागत है .और जो मैं कह रहा हूँ पूरे उत्तरदायित्व से कह रहा हूँ ,जिसे समझने के लिए आपकों पूरे होशो हवाश में होना होगा .<br /><br />आपने कहा मैं किसी विशेष पार्टी के लिए काम करता हूँ .आप ऐसे व्यक्ति को जो किसी पार्टी के लिए काम करता हो मानसिक रूप से बीमार नहीं कह सकते .आप यह सिद्ध करना चाहतें हैं कि मुझे तो भगवान् भी ठीक नहीं कर सकता .कोई मानसिक दिवालिया किसी पार्टी का पेड वर्कर नहीं हो सकता .<br /><br />अलबत्ता आप अपने बारे में बताइये आप किस गिरोह के सदस्य हैं .आपकी मानसिकता समझ में नहीं आती आप अपने ही तर्कों को काट रहें हैं .मुझे किसी पार्टी के लिए सक्रीय भी बता रहें हैं मानसिक रोगी भी .<br /><br />मेरे विचार से आप क्या और बहुत से लोग भी असहमत हो सकते हैं .<br /><br />एक बात बतलादूं आपको ये शुक्र की बात है आप भगवान को तो मानते हैं बस यही एक समानता है मेरे और आप में .हम दोनों भगवान को मानते हैं .<br /><br />मैं आपकी तरह किसी संगठन में तो काम नहीं करता पर मेरी संगत अच्छी ज़रूर है .<br /><br />Replies<br /><br />महेन्द्र श्रीवास्तव25 September 2012 12:06<br />गल्ती हो गई शर्मा जी,<br />मैं आपको एक पढ़ा लिखा सीरियस ब्लागर समझता था।<br />इसलिए कई बार मैने आपकी बातों का जवाब भी देने की कोशिश की।<br />सोचा आपकी संगत गलत है, हो जाता है ऐसा, लेकिन मुझे उम्मीद थी<br />शायद कुछ बात आपकी समझ में आज जाए।<br />लेकिन आप तो कुछ संगठनों के लिए काम करते हैं और वहां फुल टाईमर<br />यानि वेतन भोगी हैं। यही अनाप शनाप लिखना ही आपको काम के तौर<br />सौंपा गया है। एक बात की मैं दाद देता हूं कि आप ये जाने के बगैर की<br />आपको लोग पढ़ते भी हैं या नहीं, कहां कहां जाकर कुछ भी लिखते रहते हैं।<br />खैर कोई बात नहीं, ये बीमारी ही ऐसी है। वैसे अब आप में सुधार कभी संभव ही<br />नहीं है। सुधार के जो बीज आदमी में होते है, उसके सारे सेल आपके मर<br />चुके हैं। माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।<br />अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।<br />ओ भाई साहब महेंद्र श्रीवास्तव जी हमारी ही बिरादरी के हो इसलिए बतला रहा हूँ "पूछ " और "पूंछ "में फर्क होता है अगर पूंछ बोले तो tail की बात कर रहे हो तो वर्तनी तो शुद्ध कर लो वरना अर्थ का अनर्थ हो जाएगा .<br /><br />" माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।<br />अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।"<br /><br />"पूछ" भाई साहब कहते हैं महत्ता को और वह अर्जित गुण है व्यक्ति विशेष का किसी के कम किए कम न होय .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-40964139645912019862012-09-26T07:11:00.307-07:002012-09-26T07:11:00.307-07:00सुशील जी का व्यंग्य तो दमदार लगा।सुशील जी का व्यंग्य तो दमदार लगा।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-1992358646431925462012-09-26T05:36:11.733-07:002012-09-26T05:36:11.733-07:00कभी न सीधी हो सके, कुत्ते की है पूँछ।
रौव जमाती सभ...कभी न सीधी हो सके, कुत्ते की है पूँछ।<br />रौव जमाती सभी पर, दाढ़ी हो या मूछ।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-7097622993021524682012-09-25T23:16:57.359-07:002012-09-25T23:16:57.359-07:00इसीलिये भैय्या वीरू
हमने अपनी पूँछ
बीबी से पूछ कर...इसीलिये भैय्या वीरू<br />हमने अपनी पूँछ <br />बीबी से पूछ कर<br />कभी का कटवा ली<br />अब सीधी करने की<br />कोशिश भी नहीं करती<br />पूँछ हमारी घरवाली<br />बाकी किसी को <br />हम अपनी पूँछ <br />अब नहीं दिखाते <br />जो देखना चाहता भी है<br />उसके धौरे हम नहीं जाते !!सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-68966001962759488612012-09-25T21:53:55.406-07:002012-09-25T21:53:55.406-07:00बहुत बढिया।बहुत बढिया।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-28466019889861502872012-09-25T20:38:01.287-07:002012-09-25T20:38:01.287-07:00@-माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नही...@-माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है- पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ | शब्दों की यह कृपणता, हुवे हाथ क्या छूँछ | हुवे हाथ क्या छूँछ , करे यह कोई छूछू | मर्यादित व्यवहार, डंक तो मारे बिच्छू | वन्दनीय हे साधु, कर्म करते ही जाना | असहनीय यह डंक, किन्तु सच सदा बचाना || आधे सच का आधा झूठ पर<br />सामग्री निकालें | हटाएं | स्पैम<br /><br />इस उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया .इस समय इसकी बहुत ज़रुरत थी .वैसे बरसों की साध रविकर जी आज पूरी हुई ,आज एक शख्श ने हमको गाली दी .कोलिज में पढ़ाते थे तो बड़ा तरसते थे कोई <br /><br />अफवाह उड़े हमें भी लेके .बड़ा खराब इमेज था सब पढ़ाकू ही समझते थे .कईयों को पैसे भी दिए भाई ये अफवाह हमारे बारे में उड़ा दो .पर अपना नसीब ऐसा कहाँ था .<br /><br />आज घर बैठे -बैठे "राम राम भाई " ने काम करा दिया .<br /><br />एक शैर याद आ रहा है -<br /><br />कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,<br /><br />मैंने आज अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .<br /><br />वक्र मुखी का शुक्रिया .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com