tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post7568888285451450319..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": घटना से हैरान, अनोखे इसमें कारक -रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-11252975017528972622013-11-30T00:22:38.174-08:002013-11-30T00:22:38.174-08:00वाह । आभार वाह । आभार संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-12844806737226764932013-11-29T05:51:41.969-08:002013-11-29T05:51:41.969-08:00इस सुंदर चर्चा में उल्लूक का ताबूत अपनी सुंदर टिप्...इस सुंदर चर्चा में उल्लूक का ताबूत अपनी सुंदर टिप्प्णी से सजा कर देने के लिये आभार रविकर जी सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-34325389474195115432013-11-29T05:50:11.277-08:002013-11-29T05:50:11.277-08:00वाह बहुत खूब सुंदर चर्चा ! वाह बहुत खूब सुंदर चर्चा ! सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-28101973059484861752013-11-29T05:42:47.364-08:002013-11-29T05:42:47.364-08:00सुन्दर भावांतरण परस्पर पोषक सहजीवन का
फौरी समझौत...सुन्दर भावांतरण परस्पर पोषक सहजीवन का <br /><br />फौरी समझौता सही, किन्तु सटीक उपाय |<br />सात जन्म के चक्र से, रक्षा भी हो जाय |<br /><br />रक्षा भी हो जाय, नहीं क़ानूनी अड़चन |<br />छोड़-छाड़ हट जाय, अगर भर जाए तन-मन |<br /><br />सोमवार व्रत छोड़, हुई कैलासी गौरी |<br />मची यहाँ भी होड़, शुरू समझौता फौरी ||virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-86771264541671400732013-11-28T22:56:26.499-08:002013-11-28T22:56:26.499-08:00अच्छे लिंक्स
मुझे भी स्थान देने के लिए आभारअच्छे लिंक्स<br />मुझे भी स्थान देने के लिए आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/18051207879771385090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-90761644501736077372013-11-28T20:51:21.041-08:002013-11-28T20:51:21.041-08:00धन्यवाद रविकर जी. आप तो रचना को और अधिक परिभाष...धन्यवाद रविकर जी. आप तो रचना को और अधिक परिभाषित कर देते हैं :-)<br />Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com