tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post1611193495912806969..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": जौ-जौ आगर जगत, बसे रविकर से अगिनत-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-36156375155819184642012-11-14T21:32:54.456-08:002012-11-14T21:32:54.456-08:00बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-51079273318917627842012-11-14T10:40:15.430-08:002012-11-14T10:40:15.430-08:00बढिया लिंक
बढिया लिंक<br />महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/18051207879771385090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-59273015063304518432012-11-14T05:34:53.095-08:002012-11-14T05:34:53.095-08:00तुलसी हैं शशि सूर रवि, केशव खुद खद्योत ।
रविकर थोथ...तुलसी हैं शशि सूर रवि, केशव खुद खद्योत ।<br />रविकर थोथे चने सम, झाड़ बढ़े बिन जोत ।<br /><br />झाड़ बढ़े बिन जोत, घना लगता है बजने ।<br />अजब झाड़-झंखाड़, भाव बिन लगे उपजने ।<br />उर्वर पद-रज पाय, खाय मन-पादप हुलसी ।<br />रविकर तो एकांश, शंखपति कविवर तुलसी |<br />***************************************<br /><br />"राजा"- बेटा माँ कहे , "हीरा" बोलें तात ।<br />"प्रतुल" प्रेम में कर गए , शब्दों की बरसात ।।<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-67740778217421919162012-11-14T00:11:53.797-08:002012-11-14T00:11:53.797-08:00
उमा शंकर जी ,जो दूसरे की ख़ुशी में ,दूसरे की श्...<br />उमा शंकर जी ,जो दूसरे की ख़ुशी में ,दूसरे की श्रेष्ठता से प्रभावित हो नांच नहीं सकता वह सचमुच बड़ा अभागा है .ये दोनों और आप <br /><br />भी <br /><br />ब्लॉग जगत के नगीने हैं .रविकर जी को अक्सर हमने भी रविकर दिनकर कहा है ,गिरधर की कुण्डलियाँ जब तब ताज़ा हुईं हैं रविकर <br /><br />जी <br /><br />को पढ़के एक माधुरी अरुण निगम जी के दोहों में कुंडलियों में एक खनक गजब की गेयता व्याप्त है जो विमुग्ध करती है पाठक को <br /><br />,तनाव भी कम करती है .दोहे तो अपनी छोटी सी काया में पूरा अर्थ विस्तार लिए होतें हैं जीवन का सार संगीत की खनक लिए होते हैं <br /><br />.सहमत आपसे जो भी लिखा है आपने .डर यही है विनम्रता में दोहरे होते रविकर जी इस अप्रत्याशित प्रशंसा को पचा भी पायेंगे .एक <br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-9758753610116649592012-11-13T23:53:01.840-08:002012-11-13T23:53:01.840-08:00डॉलर प्रति दिन चढ़े, हमारा गिरे रुपैया-
गिरे रुपै...डॉलर प्रति दिन चढ़े, हमारा गिरे रुपैया-<br /><br />गिरे रुपैया गाँठ का, होवे नींद हराम ।<br />असर दीखता देह पर, बिगड़े काम तमाम ।<br />बिगड़े काम तमाम, किन्तु देखो यह मस्ती ।<br />मस्ती मारें राम, जले चाहे यह बस्ती ।<br />करे पार्टी डांस, विदेशी दौरे भैया ।<br />डॉलर प्रति दिन चढ़े, हमारा गिरे रुपैया ।। <br /><br />आलू यहाँ उबाले कोई |<br /> खाये बना पराठे कोई ||<br /><br />ताका-तका तकाते तो थे-<br />सोणी हटुक भगाले कोई |<br /><br />दूधक जला फुंकाए छाछो<br /> जल से गला जलाले कोई |<br /><br />करता जमा खजाना हीरो -<br />आकर उसे चुरा ले कोई || <br /><br /> होते गये तिहाड़ी मंत्री <br /> सत्ता मगर बचा ले कोई ||<br /><br /> रविकर कलम घसीटे नियमित<br />गुनगुन गुना गुना ले कोई ||<br /><br /><br />बहुत बढ़िया है सर !एक से बढ़के काव्य टिप्पणियाँ .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-4971001205126519862012-11-13T23:40:41.213-08:002012-11-13T23:40:41.213-08:00दूधक जला फुंकाए छाछो
sundar vichar जल से गला जलाल...दूधक जला फुंकाए छाछो<br /> sundar vichar जल से गला जलाले कोई |<br /><br />करता जमा खजाना हीरो -<br />आकर उसे चुरा ले कोई ||<br /><br /> होते गये तिहाड़ी मंत्री <br /> सत्ता मगर बचा ले कोई ||Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-64328417842991538592012-11-13T19:40:42.794-08:002012-11-13T19:40:42.794-08:00रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।
पाकर धवल प्...रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।<br />पाकर धवल प्रकाश को, मिल जाता गुण-ज्ञान।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com