tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post2853820425538752539..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": जूं रेंगे न कान पर, सत्ता बेहद शख्त-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-58295245721426215022012-09-22T04:37:32.317-07:002012-09-22T04:37:32.317-07:00भाई रविकर जी! पोस्ट लिंक करने के लिए शुक्रिया. मैं...भाई रविकर जी! पोस्ट लिंक करने के लिए शुक्रिया. मैंने गद्य में जो बात कही उसे आपने पद्य में और बेहतर तरीके से कह दी.devendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-18966981280697570742012-09-21T20:24:16.815-07:002012-09-21T20:24:16.815-07:00यह हमारे दौर की एक बड़ी विडम्बना है कि अब बंद करवा...यह हमारे दौर की एक बड़ी विडम्बना है कि अब बंद करवाने वालों और उसमें शिरकत करके रेल की पटरी उखाड़ने ,पटरियों पर भैंस से जुगाली करवाने वालों ,बसों और इतर देश की पहले ही उन चीज़ों को जिनकी इस देश में कमी है आग के हवाले करने वालों को अराष्ट्रीय कहने में तकलीफ नहीं होती है .ये सरासर हुडदंगी है .विरोध नहीं है हिंसात्मक विरोध है .सत्या ग्रह का यह मतलब तो नहीं था .विरोध प्रतीकात्मक होता है .एक दिन का उपवास करो देश का अन्न बचाओ .बिजली बचाओ <br /><br />ram ram bhai<br />शनिवार, 22 सितम्बर 2012<br />क्या फालिज के दौरे (पक्षाघात या स्ट्रोक ,ब्रेन अटेक ) की दवाएं स्टेन्ट से बेहतर विकल्प हैंvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-56430811455986068002012-09-21T20:22:42.222-07:002012-09-21T20:22:42.222-07:00माँ एक अहसास !
माँ एक भाव एक अहसास है, वह अपने अ...माँ एक अहसास !<br /><br /><br />माँ एक भाव एक अहसास है, वह अपने अंश से आत्मा से जुड़ी उसकी हर सांस से जुड़ी जैसे गर्भ में रखते समय उसके हर करवट और हर धड़कन को सुनकर कितना उत्साहित होती है। फिर जिसे जन्म देती है , तो सीने से लगा कर उसकी गर्माहट से अपने गर्भकाल की और प्रसव पीड़ा को भूल…virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-68686725310971723332012-09-21T18:02:49.262-07:002012-09-21T18:02:49.262-07:00रविकर का अंदाज
हमेशा गजब ढाता है
कुछ भी लिख
ले ज...रविकर का अंदाज <br />हमेशा गजब ढाता है<br />कुछ भी लिख <br />ले जाइये<br />चार चाँद आकर <br />वो लगाता है<br />जब प्यार से वो <br />उस पर टिपियाता है !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-35210300520310590362012-09-21T10:00:47.846-07:002012-09-21T10:00:47.846-07:00मेरे लिए यह सौभाग्य कि बात है कि मेरे लेख को लिंक ...मेरे लिए यह सौभाग्य कि बात है कि मेरे लेख को लिंक लिखाड़ पर जगह मिली है वाकई उत्कृष्ट रचनाएं आपने एक जगह जमा की है इसके लिए आपका धन्यवाद !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-15211138251967070332012-09-21T05:43:18.361-07:002012-09-21T05:43:18.361-07:00अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे गूँगे लोग |
अपनी करन...अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे गूँगे लोग |<br />अपनी करनी का फल कड़वा,आंसू बहा केभोगें लोग ||<br />'माल हज़म कर लें हम कैसे,किसका कितना कहाँ कहाँ!'<br />कुछ ऊंचे ओहदे वाले भी, लार गिरा कर सूंघें लोग || देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-62063055372995376012012-09-21T05:42:09.062-07:002012-09-21T05:42:09.062-07:00अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे गूँगे लोग |
अपनी करन...अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे गूँगे लोग |<br />अपनी करनी का फल कड़वा,आंसू बहा केभोगें लोग ||<br />'माल हज़म कर लें हम कैसे,किसका कितना कहाँ कहाँ!'<br />कुछ ऊंचे ओहदे वाले भी, लार गिरा कर सूंघें लोग || <br />देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-56074449004711382282012-09-21T05:40:33.682-07:002012-09-21T05:40:33.682-07:00अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे कैसे लोग |
अपनी करनी...अपना देश बचाएं कैसे,अंधे,बहरे कैसे लोग |<br />अपनी करनी का फल कड़वा,आंसू बहा केभोगें लोग ||<br />'माल हज़म कर लें हम कैसे,किसका कितना कहाँ कहाँ!'<br />कुछ ऊंचे ओहदे वाले भी, लार गिरा कर सूंघें लोग || <br /> <br />देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-31106333566621052892012-09-21T04:34:10.003-07:002012-09-21T04:34:10.003-07:00बहुत बढिया।बहुत बढिया।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com