tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post4431858839785268763..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": नौटंकी श्रीमंत, खाय के उगलें रोटी ||रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-89829848184156647482012-02-08T03:33:35.819-08:002012-02-08T03:33:35.819-08:00वाह दिनेश जी ... आपका भी जवाब नहीं ...वाह दिनेश जी ... आपका भी जवाब नहीं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-4352748807195554412012-02-07T22:43:26.832-08:002012-02-07T22:43:26.832-08:00बहुत अच्छी कुण्डलिया प्रस्तुति|बहुत अच्छी कुण्डलिया प्रस्तुति|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-9308589796774746452012-02-07T05:30:39.962-08:002012-02-07T05:30:39.962-08:00बहुत बढिया...बहुत बढिया...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-84294012997425847882012-02-07T04:58:09.137-08:002012-02-07T04:58:09.137-08:00बढ़िया कुण्डलिया!बढ़िया कुण्डलिया!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-10848226734349935512012-02-07T04:36:22.232-08:002012-02-07T04:36:22.232-08:00ईंदुर शब्द प्रयोग के क्या कहने हैं रविकर जी .ईंदुर शब्द प्रयोग के क्या कहने हैं रविकर जी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-76466747971073938862012-02-07T04:35:19.867-08:002012-02-07T04:35:19.867-08:00रोटी खाकर यह मुआ, खटिया पर पड़ जाय |
ज्यों ईंदुर ...रोटी खाकर यह मुआ, खटिया पर पड़ जाय |<br />ज्यों ईंदुर रोटी कुतर, बिल में जाय छुपाए |<br />बिल में जाय छुपाए, चार दिन बच्चे रोवें |<br />एक समय का भात, शाम की रोटी खोवें |<br />वह राखी सावंत, खेलती खोटी गोटी |<br />नौटंकी श्रीमंत, खाय के उगलें रोटी ||<br />एक का जलवा, दूजे का ज़माल ,दोनों को मिलादों तो हो जाएगा ..........virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-20737557675144416352012-02-07T04:32:40.158-08:002012-02-07T04:32:40.158-08:00आज का नीतिपरक दोहा /उक्ति :
आज रविदास जी की जयंती ...आज का नीतिपरक दोहा /उक्ति :<br />आज रविदास जी की जयंती है उसी पर विशेष :<br />'मन चंगा ,तो कठौती में गंगा ' <br />कहतें हैं संत रविदास के शिष्य उन्हें गंगा स्नान पर ले जाना चाहते थे लेकिन अपने कर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान को नहीं गए ,कठौती का वह गंदा जल जिसमे वह राती लगाकर जूता बनाते थे वही उनके लिए गंगा जल था क्योंकि उन्होंने वायदा किया था उस रोज़ जूता बनाके देने का .रवि दास जी ने कहा-मैं उसे जूते बनाके न दे सका तो वचन भंग होगा .वचन का पालन ही उनका सबसे बड़ा धर्म था .और इसीलिए अपने इसी धर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान नहीं गए .<br />आज के नेता वचन भंग करने में माहिर हैं .<br />उनका लिखा एक और पद है -<br /><br />प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी ,गुरु दिग्विजय इसका नया संस्करण प्रस्तुत करते होंगे मन ही मन - <br />राहुलजी तुम चन्दन हम पानी ,<br />राहुलजी तुम दीपक हम बाती,<br />स्तुति गान करू दिन राती ,<br />राहुलजी तुम दीपक हम बाती ....<br />राम राम भाई !virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com