tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post4582249767631913309..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": दिलचस्प बहस डॉ अयाज अहमद और श्री प्रवीन शाह रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-5402027138904462952013-03-08T04:49:32.184-08:002013-03-08T04:49:32.184-08:00दुख का निवारण औरतों को उनके हक़ देने में है
उम्दा ...दुख का निवारण औरतों को उनके हक़ देने में है<br />उम्दा पोस्ट के लिए शुक्रिया.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-57390556320187938552013-03-07T23:23:55.779-08:002013-03-07T23:23:55.779-08:00नारि-सशक्तिकरण में, जगह जगह खुरपेंच |
राम गए मृग छ...नारि-सशक्तिकरण में, जगह जगह खुरपेंच |<br />राम गए मृग छाल हित, लक्ष्मण रेखा खेंच |<br />लक्ष्मण रेखा खेंच, नीच रावण है ताके |<br />साम दाम भय भेद, प्रताणित करे बुलाके |<br />अक्षम है कानून, पुलिस अपनों से हारी |<br />नारि नहीं महफूज, लूटते रहे *अनारी || <br /><br /><b>वाह बहुत बेहतरीन ,,,प्रस्तुत; </b><br /><br /><b>Recent post</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/03/blog-post_7.html#links" rel="nofollow">: रंग गुलाल है यारो,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-91763824085997795572013-03-07T23:05:08.745-08:002013-03-07T23:05:08.745-08:00रविकर जी आपका आभार!
महिला दिवस की शुभकामनाएँ!रविकर जी आपका आभार!<br />महिला दिवस की शुभकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-30991488191710203252013-03-07T21:28:46.664-08:002013-03-07T21:28:46.664-08:00बहुत सुन्दर !बहुत सुन्दर !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-25037878540813356222013-03-07T21:23:40.612-08:002013-03-07T21:23:40.612-08:00बहुत बहुत आभार आदरणीय-
यह कुण्डलिया सार्थक हुई-आपक...बहुत बहुत आभार आदरणीय-<br />यह कुण्डलिया सार्थक हुई-आपके चर्चा करने से ही-<br />इसलिए पुन: आभार-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-39172821306191963042013-03-07T20:37:44.776-08:002013-03-07T20:37:44.776-08:00'कहते मिथ्या मोक्ष' सही है.
देह-विस्मरित,...'कहते मिथ्या मोक्ष' सही है.<br /><br />देह-विस्मरित,आत्मरति, रहे हमेशा शांत ।<br /><br />कह के मिथ्या मोक्ष,नकारे खुदा, शिवाला।<br /><br />चर्चित करने के लिए क्षमा करेँ.........सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-16848228375859892702013-03-07T20:04:25.124-08:002013-03-07T20:04:25.124-08:00आदरणीय सुझाव दीजिये-
यह तवरित कुण्डलियाँ कभी कभी अ...आदरणीय सुझाव दीजिये-<br />यह तवरित कुण्डलियाँ कभी कभी अर्थ का अनर्थ कर ही देती हैं-<br />सादर-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-39588096718325579942013-03-07T20:02:10.431-08:002013-03-07T20:02:10.431-08:00कह के मिथ्या जगत
इस पंक्ति को ऐसे लिखना चाहिए था-
...कह के मिथ्या जगत<br />इस पंक्ति को ऐसे लिखना चाहिए था-<br />कहते मिथ्या मोक्ष <br />ठीक है न आदरणीय-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-73345871529143120352013-03-07T19:59:12.677-08:002013-03-07T19:59:12.677-08:00आत्म-विस्मरित=अपना ध्यान ना रखने वाला
आत्मरत नही...आत्म-विस्मरित=अपना ध्यान ना रखने वाला <br /><br />आत्मरत नहीं बल्कि <br /><br />आत्म-रति=ब्रह्मज्ञान रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-69831904443312701292013-03-07T19:52:05.142-08:002013-03-07T19:52:05.142-08:00पहले छँद में यह विरोधाभास क्यों प्रतीत हो रहा है?....पहले छँद में यह विरोधाभास क्यों प्रतीत हो रहा है?......<br />'आत्म-विस्मरित'/ 'आत्मरति', रहे हमेशा शांत ।<br />'कह के मिथ्या जगत,' / 'नकारे खुदा, शिवाला' ।<br /><br />आत्म-विस्मरित और आत्मरति दोनो शांत कैसे?<br />जगत को मिथ्या कहने वाले भला कब खुदा शिवालय नकारते है?<br />भाव स्पष्ट कीजिए थोडा सा..... सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-31712775418928422092013-03-07T19:43:40.994-08:002013-03-07T19:43:40.994-08:00बहुत सुन्दर विवेचना किया है. सत्य या नहीं यह तो कह...बहुत सुन्दर विवेचना किया है. सत्य या नहीं यह तो कहना मुश्किल है, हो सकता है मृत्यु के उपरांत भी कोई सत्ता हो. हाँ स्वर्ग और हूरों वाली बात मजेदार जरूर लगती है.<br />नीरज 'नीर'<br />आज महिला दिवस के अवसर पर पढ़ें मेरी कविता : नारी <br /><br /><a href="http://kavineeraj.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html#links" rel="nofollow">KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): “नारी”</a><br /><br />Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-21469762644857136712013-03-07T19:38:05.309-08:002013-03-07T19:38:05.309-08:00This comment has been removed by the author.Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-81378340313108954502013-03-07T19:22:18.963-08:002013-03-07T19:22:18.963-08:00.
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... :)
पुन: आभार आपका..
....<br />.<br />.<br />... :)<br /><br />पुन: आभार आपका..<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.com