tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post5967975053357254137..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": पैसा पा'के पेड़ पर, रुपया कोल खदान-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-22052515665862818862012-09-22T23:18:04.583-07:002012-09-22T23:18:04.583-07:00बर्फी के ऊपर
चाँदी का वर्क
दिख जाता है
रविकर जब ...बर्फी के ऊपर <br />चाँदी का वर्क <br />दिख जाता है<br />रविकर जब कुछ<br />टिपिया जाता है !<br /><br />सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-8212772291213797502012-09-22T22:09:03.873-07:002012-09-22T22:09:03.873-07:00अपने लिंक के बारे में आपका लिक्खाड़ मन को छू गया।अपने लिंक के बारे में आपका लिक्खाड़ मन को छू गया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-64221488460395522722012-09-22T19:34:10.955-07:002012-09-22T19:34:10.955-07:00पार्टियां न हुईं गैस सब्सिडी का सिलिंडर हो गए .बेह...पार्टियां न हुईं गैस सब्सिडी का सिलिंडर हो गए .बेहतरीन व्यंग्य विनोद .हमारे दौर की यही तो विडंबना है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-67748621477567676142012-09-22T18:23:26.318-07:002012-09-22T18:23:26.318-07:00उल्लेखित थीम पर आशु कविता चाहिए दाता .दे दाता के न...उल्लेखित थीम पर आशु कविता चाहिए दाता .दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रख्खे .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-38566150900110707782012-09-22T18:23:03.872-07:002012-09-22T18:23:03.872-07:00रविवार, 23 सितम्बर 2012
ब्लॉग जगत में शब्द कृपणता ...<br />रविवार, 23 सितम्बर 2012<br />ब्लॉग जगत में शब्द कृपणता ठीक नहीं मेरे भैया ,<br />ब्लॉग जगत में शब्द कृपणता ठीक नहीं मेरे भैया ,<br /><br />नाव भंवर में अटक गई तो ,कोई नहीं नहीं खिवैया |<br /><br />विषय बड़ा सपाट है अभिधा में ही आगे बढेगा ,लक्षणा और व्यंजना की गुंजाइश ही नहीं मेरे भैया .चिठ्ठा -कारी भले एक व्यसन बना कईओं का ,फिर भी भैया सहजीवन है यहाँ पे छैयां छैयां <br /><br />.चल छैयां छैयां छैयां छैयां .आ पकड मेरी बैयाँ बैयाँ .<br /><br />क्यों शब्द कृपण दिखता है रे ! कन्हैयाँ?<br /><br />धन कंजूस चल जाता है .भई किसी का कुछ ले नहीं रहा ,अपना फायदा कर रहा है .सीधा सा गणित है कंजूसी का :मनी नोट स्पेंट इज मनी सेव्ड .लेकिन यहाँ मेरे राजन यह फार्मूला लगाया तो सारे समर्थक ,अभी तलक टिपियाए लोग आपके दायरे से बाहर आ जायेंगें .शब्द कृपणता आपको आखिर में निस्संग कर देगी .आप भले "निरंतर ",लिखें "सुमन" सा खिलें ,<br /><br />साथ में चिठ्ठा -वीर और बिना बघनखे धारे चिठ्ठा -धीर दिखें .आखिर में कुछ होना हवाना नहीं है सिवाय इसके -<br /><br />चल अकेला चल अकेला ,चल अकेला ,तेरा "चिठ्ठा "कच्चा फूटा राही चल अकेला .<br /><br />यहाँ कुछ लोग आत्म मुग्ध दिखतें हैं .आत्म संतुष्ट भी .महान होने का भी भ्रम रखतें हैं/रखती हैं .आरती करो इनकी करो इनकी "वंदना "हो सकता है हों भी महान .शिज़ोफ्रेनिक भी तो हो सकते है .मेनियाक फेज़ में भी हो सकतें हैं बाई -पोलर इलनेस की ,मेजर -डिप्रेसिव -डिस -ऑर्डर की ..<br /><br />ये चिठ्ठा है मेरे भाई ,अखबार की तरह एक दिनी अवधि है इसकी. बाद इसके कूड़े का ढेर .<br /><br />इतनी अकड काहे की ?<br /><br />निरभिमान बन ,मत बन शब्द कृपण .आपके दो शब्द दूसरे को सारे दिन खुश रख सकतें हैं .<br /><br />शब्दों से ही चलती है ज़िन्दगी प्यारे .<br /><br />कुछ शब्द हम अपने गिर्द पाल लेतें हैं .<br /><br />"अपनी किस्मत में यही लिखा था भैया ,अपनी तो किस्मत ही फूटी हुई है ,कोई हाल पूछे तो कहतें हैं बीमार हूँ भैया "-बस तथास्तु ही हो जाता है .<br /><br />बस इतना ध्यान रख तुझे लेके कोई ये न कहे मेरे प्रियवर तू मेरी टिपण्णी को तरसे .सारे दिन तेरा जिया धडके ...<br /><br />और तू गाये :जिया बे -करार है ,छाई बहार है आजा मेरे टिपिया तेरा इंतज़ार है .<br /><br />यहाँ प्यारे! आने- जाने का अनुपात सम है .स्त्री -पुरुष की तरह विषम नहीं .तेरा चिठ्ठा भी प्यारे कन्या भ्रूण की तरह किसी दिन कूढ़े के ढेर पे मिल सकता है .तू मेरे घर आ! मैं आऊँ तेरे. .जितनी मर्जी बार आ ,खाली हाथ न आ .भले मानस दो चार शब्द ला .<br /><br />पटक जा मेरे दुआरे !<br /><br />गुड़ न दे, गुड़ सी बात तो कह .<br /><br />एक टिपण्णी का ही तो सवाल है जो दे उसका भला ,जो न दे उसका भी बेड़ा रामजी पार करें .<br /><br />राम राम भाई !<br /><br />सुन !इधर आ !<br /><br />मत शरमा !<br /><br />जिसने की शरम उसके फूटे करम<br /><br />शर्माज आर दा मोस्ट बे -शर्माज . .<br /><br />"मौन सिंह" मत बन .<br /><br />इटली का कुप्पा सूजा मत दिख .<br /><br />निर्भाव न दिख ,भाव भले ख़ा ,भावपूर्ण दिख .<br /><br />प्यार कर ले नहीं तो पीछे पछतायेगा .<br /><br />साईबोर्ग मत बन ,होमो -सेपियन बन ,<br /><br />सीढ़ी -दर-सीढ़ी ऊपर की तरफ चढ़ ,<br /><br />शब्द कृपण मत बन !<br /><br />चढ़ लोगों की आँखों में चढ़ .<br /><br />दिल में जगह बना सबकी !<br /><br />खिलखिला के हँस !virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-30235101133914680762012-09-22T11:00:12.792-07:002012-09-22T11:00:12.792-07:00वाह जी बढ़िया हैवाह जी बढ़िया हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-58462957449491268922012-09-22T08:19:51.006-07:002012-09-22T08:19:51.006-07:00दिल की लगी दिल्लगी !
बाकी कल को !दिल की लगी दिल्लगी !<br />बाकी कल को !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-87324931645922178302012-09-22T03:05:41.983-07:002012-09-22T03:05:41.983-07:00बेहतरीन प्रस्तुति।बेहतरीन प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com