tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post7070137574001975761..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": रविकर नाक घुसेड, थोपते मर्जी पातक रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-41378453942235443182013-10-09T17:47:13.351-07:002013-10-09T17:47:13.351-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-10-2013) <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2013/10/1394.html" rel="nofollow"> "दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394) में "मयंक का कोना" </a> पर भी है!<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-21077556737566170892013-10-08T22:50:58.023-07:002013-10-08T22:50:58.023-07:00काफी दिनों बाद मेरे पोस्ट पर काव्यमय टिप्प्णी करने...काफी दिनों बाद मेरे पोस्ट पर काव्यमय टिप्प्णी करने के लिए आभार,,,रविकर जी,,, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-90698538271265632652013-10-08T21:17:52.980-07:002013-10-08T21:17:52.980-07:00सदा पढ़ाया पाठ, आज जैसे को तैसा |
सोलह दूनी आठ, मँ... सदा पढ़ाया पाठ, आज जैसे को तैसा |<br />सोलह दूनी आठ, मँगा लो रविकर पैसा ||<br /><br />सुंदर अभिव्यक्ति...!<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/10/blog-post_8.html#links" rel="nofollow">: अपनी राम कहानी में.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-44913663367341940592013-10-08T21:01:00.768-07:002013-10-08T21:01:00.768-07:00सदा पढ़ाया पाठ, आज जैसे को तैसा |
सोलह दूनी आठ, मँ...सदा पढ़ाया पाठ, आज जैसे को तैसा |<br />सोलह दूनी आठ, मँगा लो रविकर पैसा ||<br /><br />क्या बात है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com