tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post8790612811426273134..comments2023-11-26T00:36:15.978-08:00Comments on "लिंक-लिक्खाड़": होता हलुवा टेट, फेल कंपनी विदेशी -रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-76895573732090762062012-10-13T20:01:15.590-07:002012-10-13T20:01:15.590-07:00मैं अपने विचार यहाँ रख रहा हूँ जो समाज जैविकी(Soci...मैं अपने विचार यहाँ रख रहा हूँ जो समाज जैविकी(Sociobilogy) के नजरिये से है ........(हैं ).........और कोई आवश्यक नहीं कि मेरा इससे निजी मतैक्य अनिवार्यतः हो भी?<br /><br />लो जी हम थक गए थे पढ़ते पढ़ते .,पूरा विमर्श .<br /><br />एक आँखिन देखि -हमारे एक सर !हैं ,हाँ हम सर ही कहतें हैं उन्हें .किशोरावस्था से वर्तमान अवस्था में आने तक हमने उन्हें बहुत नजदीक से देखा है .सागर विश्व विद्यालय से रोहतक विश्व विद्यालय तक .बाद सेवानिवृत्ति आज भी उनसे संवाद ज़ारी है .<br /><br />कोई आदर्श जोड़ा नहीं था यह पति -पत्नी का .अक्सर हमने इन्हें परस्पर लड़ते झगड़ते देखा .अपनी झंडी अकसर दूसरे से ऊपर रखते देखा .होते होते दोनों उम्र दराज़ भी हो गए .<br /><br />73 -74 वर्षीय हैं ये हमारे सर !अभी कल ही इनकी पत्नी दिवंगत हुईं हैं .बतला दें आपको -गत आठ वर्षों से अलजाईमार्स ग्रस्त थीं .और ये हमारे सर उनको हर मुमकिन इलाज़ मुहैया करवाते रहे .पूरी देखभाल हर तरीके से उनकी की गई .घर की सुईं इनके हिसाब से घुमाई जाती थी ताकि इन्हें किसी भी बिध कष्ट न हो .आप जानते हैं अलजाईमार्स की अंतिम प्रावस्था में आदमी अपनों की पहचान भी भूलने लगता है .उसे यह भी इल्म नहीं रहता वह ब्रेक फास्ट कर चुका है .<br />चण्डीगढ़ में दो मंजिला कोठी और रहने वाली दो जान .कारिंदे इस घर में अपनी अपनी शिफ्ट में आते थे ,अपना काम करके चले जाते थे .सबके फोकस में इनकी पत्नी की देखभाल सर्वोपरि रखी गई थी .अब उनके जाने के बाद इस आदमी के पास करने को कुछ भी नहीं है एक बेहद का खालीपन हावी है .<br />तो ये प्रति-बद्धता ,कमिटमेंट सबसे ज़रूरी तत्व है शादी का .कर्तव्य को निजी भावना से ऊपर रखना पड़ता है .अपनी ड्यूटी से हमारे सर कभी नहीं भागे .आपस में बनी न बनी ये और बात है .<br /><br />तू हाँ कर या ना कर?<br />noreply@blogger.com (Arvind Mishra) क्वचिदन्यतोSपि...<br /><br />एकाकी जीवन जिए, काकी रही कहाय |<br />माँ के झंझट से परे, समय शीघ्र ही आय |<br />समय शीघ्र ही आय, श्वान सब होंय इकट्ठा |<br />केवल आश्विन मास, बने उल्लू का पट्ठा |<br />आएँगी कुछ पिल्स, काटिए महिने बाकी |<br />हो जाए ना जेल, रहो रविकर एकाकी ||<br />भाई साहब टिपण्णी गायब हो रहीं हैं .बढ़िया प्रस्तुति है मिश्र जी की मूल पोस्ट के अनुरूप .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-76612291606241655812012-10-13T19:59:02.869-07:002012-10-13T19:59:02.869-07:00तू हाँ कर या ना कर?
noreply@blogger.com (Arvind Mi...तू हाँ कर या ना कर?<br />noreply@blogger.com (Arvind Mishra) क्वचिदन्यतोSपि...<br /><br /> एकाकी जीवन जिए, काकी रही कहाय |<br />माँ के झंझट से परे, समय शीघ्र ही आय |<br />समय शीघ्र ही आय, श्वान सब होंय इकट्ठा |<br />केवल आश्विन मास, बने उल्लू का पट्ठा |<br />आएँगी कुछ पिल्स, काटिए महिने बाकी |<br />हो जाए ना जेल, रहो रविकर एकाकी ||<br />भाई साहब टिपण्णी गायब हो रहीं हैं .बढ़िया प्रस्तुति है मिश्र जी की मूल पोस्ट के अनुरूप .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-70528052167247457042012-10-13T18:29:12.912-07:002012-10-13T18:29:12.912-07:00अरे वाह ! यहाँ भी इतने खूबसूरत लिंक्स का जखीरा उपल...अरे वाह ! यहाँ भी इतने खूबसूरत लिंक्स का जखीरा उपलब्ध है ! हमें तो पता ही नहीं था ! बधाई और शुभकामनायें ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5430413835103305212.post-82403944817160164032012-10-13T04:18:59.262-07:002012-10-13T04:18:59.262-07:00बहुत बढि़या....बहुत बढि़या....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.com