Thursday, 15 December 2011

मुआवजे का सफ़र--

One killed in boat tragedy



बालू  भित्ती से लड़ी, दानापुर में नाव |
बँटते लाखों लाश पर, बुड्ढा देता दांव ||

(Relatives of patients in AMRI hospital )














बुड्ढा देता दांव,  करूँ एडमिट कलकत्ता  |
अस्पताल में आग, मिला फिर भी ना पत्ता ||
People who drank toxic alcohol take saline in a hospital

 रविकर कर ना माफ़, पिला दी देसी दारू |
तब पाया दो लाख, हुआ था जीवन भारु ||

14 comments:

  1. कमाल का लिखते हैं आप। अभिभूत हूं।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी अनमोल राय की अपेक्षा करती है हमारी यह पोस्ट-
    http://shalinikikalamse.blogspot.com/2011/12/blog-post.html

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  3. कविता का तो जवाब नहीं, तस्वीर भी कमाल की लगाई है आपने!!!!

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  4. ,बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी!! जीवन का कटु सत्य है.......!!!

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  5. जीवन के कटु सत्य को उजागर करती ,अनमोल प्रस्तुति...

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  6. आईना दिखाती असल तस्वीर..
    बहुत बढिया

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  7. कड़वी सच्चाई को उजागर करती हुई पंक्तियाँ ......

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  8. क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  9. राजनीतिक प्रबंध पर सीधा प्रहार करतें हैं यह दोहे .भारत में मरने से पहले यह सोचना पड़ता है कहाँ मरे .विमान दुर्घटना में या बैलगाड़ी में या रेलगाड़ी में ,अस्पताल में या रैन बसेरे में जैसी जगह वैसा ही मुआवजा .बहरहाल मरने के ठिकाने बहुत हैं चुन तो लें .नव वर्ष मुबारक भाई साहब रविकर दिनकर जी ,दिनेश .

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  10. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

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  11. रवि से पहले पहुंचते कवि रविकर हरबार
    बात बात पर लिखा करें दोहे एक हजार

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