Monday 30 September 2013

बछिया के ताऊ खफा, छोड़ बैठते अन्न


In Depth Fodder Scam Lalu Prasad Convicted Time Line Fodder Scam


SM

गौशाले में गाय खुश, बछिया दिखे प्रसन्न |

बछिया के ताऊ खफा, छोड़ बैठते अन्न |

छोड़ बैठते अन्न, सदा चारा ही खाया |

पर निर्णय आसन्न, जेल उनको पहुँचाया |

करते गधे विलाप, फायदा लेने वाले |

चारा पाती गाय, हुई रौनक गौशाले ||



वारे न्यारे कब किये, कब का चारा साफ़ |
पर कोई चारा नहीं, कोर्ट करे ना माफ़ |

कोर्ट करे ना माफ़, दिखे करनी सी भरनी |
गौशाला आबाद, ,पार करले वैतरणी |

फटता अध्यादेश, कहाँ अब जाय पुकारे |
गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे  |


ग़ज़ल : हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा


बाधा हरते श्याम कब, हैं अपने में लीन |
कितनी सारी रानियाँ, राधा प्रेम प्रवीन |

राधा प्रेम प्रवीन, साँवरे व्यस्त हुवे हैं |
खाई हमने मात, खुदे उस ओर कुंए हैं |

खाईं खन्दक ढेर, नहीं अब जाए साधा |
दिखे युद्ध आसन्न, महाभारत की बाधा |



 
भारत के रत्न मान पायें भारत के बाहर .

 Shalini Kaushik

तीखा हमला कर रहे, जब अपने युवराज  |
इनसे आगे चल पड़े, मोदी और नवाज |
मोदी और नवाज, शराफत दोनों छोड़ें |
त्याग समर्पण कर्म, प्यार के हाथ मरोड़ें |
पी एम् गांधी भक्त, बात जनपथ की भाती |
बोलो साध्वी नारि, नहीं औरत देहाती ||  

(1)
लहजा रहा मजाकिया, वैसे बड़ा शरीफ |
मजा किया इत आय के, पाई पाक रिलीफ |

पाई पाक रिलीफ, औरतों पर खिसियाता |
बेनजीर का भूत, फिदाइन से घबराता |

मीठे मीठे बोल, बात जो चाहे कह जा |
आतंकी घुसपैठ, छिनालों वाला लहजा |



"जन्मदिन की बधाई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
 

गुरुवर ने अर्पित कए, भाव भरे शुभ छंद |
दीदी को शुभकामना, रहें स्वस्थ सानन्द |
रहें स्वस्थ सानन्द, यही रविकर सन्देशा |
देखो घर परिवार, सुखी संतुष्ट हमेशा |
मिले सभी का प्यार, मिले सब से शुभ आदर  |
साधो नित साहित्य, रहो  खुश दीदी गुरुवर ||

Sunday 29 September 2013

बोलो साध्वी नारि, नहीं औरत देहाती-

  

"अमर भारती जिन्दाबाद" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


गुरुवर ने अर्पित कए, भाव भरे शुभ छंद |
दीदी को शुभकामना, रहें स्वस्थ सानन्द |
रहें स्वस्थ सानन्द, यही रविकर सन्देशा |
देखो घर परिवार, सुखी संतुष्ट हमेशा |
मिले सभी का प्यार, मिले सब से शुभ आदर  |
साधो नित साहित्य, रहो  खुश दीदी गुरुवर ||

ग़ज़ल : हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा


बाधा हरते श्याम कब, हैं अपने में लीन |
कितनी सारी रानियाँ, राधा प्रेम प्रवीन |

राधा प्रेम प्रवीन, साँवरे व्यस्त हुवे हैं |
खाई हमने मात, खुदे उस ओर कुंए हैं |

खाईं खन्दक ढेर, नहीं अब जाए साधा |
दिखे युद्ध आसन्न, महाभारत की बाधा |


टीस

Asha Saxena 

तन के जख्मों पे लगे, मरहम रोज सखेद |
मन के जख्मों को सगे, जाते किन्तु कुरेद |
जाते किन्तु कुरेद, भेद करते हैं भारी |
ऊपर ऊपर ठीक, किन्तु अन्दर चिंगारी |
होना क्या मुहताज, मोह अब छोडो मन के |
कर के मन मजबूत, खड़े हो जाओ तन के ||

गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे -
वारे न्यारे कब किये, कब का चारा साफ़ |
पर कोई चारा नहीं, कोर्ट करे ना माफ़ |

कोर्ट करे ना माफ़, दिखे करनी सी भरनी |
गौशाला आबाद, ,पार करले वैतरणी |

फटता अध्यादेश, कहाँ अब जाय पुकारे |
गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे  |


"दर्पण काला-काला क्यों" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 









प्रश्नों के उत्तर सरल, पर रखते नहिं याद |
स्वार्थ-सिद्ध के मामले, भोगवाद उन्माद |

भोगवाद उन्माद , नशे से बहके बहके |
लेते रहते स्वाद, अनैतिक चीजें गहके |

नीति नियम आदर्श, हवा के ताजे झोंके |
रविकर आये होश, लिखे उत्तर प्रश्नों के || 



 भारत के रत्न मान पायें भारत के बाहर .

 Shalini Kaushik

तीखा हमला कर रहे, जब अपने युवराज  |
इनसे आगे चल पड़े, मोदी और नवाज |
मोदी और नवाज, शराफत दोनों छोड़ें |
त्याग समर्पण कर्म, प्यार के हाथ मरोड़ें |
पी एम् गांधी भक्त, बात जनपथ की भाती |
बोलो साध्वी नारि, नहीं औरत देहाती || 


तब दिग्विजय के मंद बुद्धि चेले ने आस्तीन चढ़ाके वह सब बोला जो मीडिया सेंटर में भारत के लोगों ने देखा। ये मदारी भोपाली अभी और भी करतब दिखलाएगा।

Virendra Kumar Sharma 
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
मौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |

ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता |
बेमकसद यह क्रोध, स्वयं की कब्र सींचता |

नहिं *अधि ना आदेश, मात्र दिख रहा हादसा |
रविकर हृदय पुकार, आज से प्रणव नाद सा ||

*प्रधान


Saturday 28 September 2013

भर भर के उच्छ्वास, देह में अगन जलाए -


"दर्पण काला-काला क्यों" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
प्रश्नों के उत्तर सरल, पर रखते नहिं याद |
स्वार्थ-सिद्ध के मामले, भोगवाद उन्माद |
भोगवाद उन्माद , नशे से बहके बहके |
लेते रहते स्वाद, अनैतिक चीजें गहके |
नीति नियम आदर्श, हवा के ताजे झोंके |
रविकर आये होश, लिखे उत्तर प्रश्नों के || 

टीस

Asha Saxena 

तन के जख्मों पे लगे, मरहम रोज सखेद |
मन के जख्मों को सगे, जाते किन्तु कुरेद |
जाते किन्तु कुरेद, भेद करते हैं भारी |
ऊपर ऊपर ठीक, किन्तु अन्दर चिंगारी |
होना क्या मुहताज, मोह अब छोडो मन के |
कर के मन मजबूत, खड़े हो जाओ तन के ||

सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

 धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 

पूस फूस सा दिन उड़ा, किन्तु रात तड़पाय |
दिवस बिताऊं ऊंघ कर, जाड़ा जियरा खाय |

जाड़ा जियरा खाय, रजाई नहिं गरमाए |
भर भर के उच्छ्वास, देह में अगन जलाए |

फिर भी रविकर चैन, रैन का गया *रूस सा |
दूरभाष के बैन, उड़ें ज्यों पूस फूस सा || 
*गुस्सा 


डर या रोमांच

kavita verma 
डर डर कर जीते रहे, रहे गहे सद्मार्ग |
किन्तु आज रोमांच हित, जिए बड़ा सा वर्ग-

कल तक चाँद हो रहा था रात ही रात में दाग हो गया

Sushil Kumar Joshi 

दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |

धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |

सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||  

तब दिग्विजय के मंद बुद्धि चेले ने आस्तीन चढ़ाके वह सब बोला जो मीडिया सेंटर में भारत के लोगों ने देखा। ये मदारी भोपाली अभी और भी करतब दिखलाएगा।

Virendra Kumar Sharma 
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
मौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |

ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता |
बेमकसद यह क्रोध, स्वयं की कब्र सींचता |

नहिं *अधि ना आदेश, मात्र दिख रहा हादसा |
रविकर हृदय पुकार, आज से प्रणव नाद सा ||

*प्रधान

समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे -


रविकर
हे अबलाबल भगवती, त्रसित नारि-संसार। 
सृजन संग संहार बल, देकर कर उपकार।

देकर कर उपकार, निरंकुश दुष्ट हो रहे । 
करते अत्याचार, नोच लें श्वान बौरहे।

समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे । 
प्रभु दे मारक शक्ति, नारि क्यूँ सदा कराहे ॥


शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी-


कल तक चाँद हो रहा था रात ही रात में दाग हो गया

Sushil Kumar Joshi 

दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |

धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |

सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||  


सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

 धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 

पूस फूस सा दिन उड़ा, किन्तु रात तड़पाय |
दिवस बिताऊं ऊंघ कर, जाड़ा जियरा खाय |

जाड़ा जियरा खाय, रजाई नहिं गरमाए |
भर भर के उच्छ्वास, देह में अगन जलाए |

फिर भी रविकर चैन, रैन का गया *रूस सा |
दूरभाष के बैन, उड़ें ज्यों पूस फूस सा || 

*गुस्सा 

सम्‍बंधों का बाईस्‍कोप !!!

सदा




यही भरोसा ही सदा, उचित प्रेम पर्याय | 
प्रेम अन्यथा हैं कहाँ, गर भरोस उठ जाय ||


नापसंदगी के अधिकार ( No Vote ) को नकारने का अधिकार ( Right to Reject ) बताया जा रहा है !!

पूरण खण्डेलवाल 





यह भी तो है झुनझुना, खड़ा कुनमुना व्यक्ति |
नेता तो चुनकर गया, व्यर्थ दिखाया शक्ति ||

काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक-


लाशों पर टेबुल सजे, बैठे भारत पाक |
काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक |

कट जाने दो नाक, करें हमले वे दैनिक |
मरती जनता आम, मरें सीमा पर सैनिक |

रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो |
  फिर टकराओ जाम, अरी सरकारी लाशों ||  

Express Adda : राहुल गांधी के वक्‍तव्‍य - 2013

Kulwant Happy 
शक्ति मिली परिवार से, किन्तु कहाँ परवाह |
लगे बड़े परिवार की, अब बकवास सलाह |
अब बकवास सलाह, जहर सत्ता का ताड़ा |
अब पानी में डाल, उगाने लगे सिंघाड़ा |
सिंह सिंघाड़ा खाय, मौन होती अभिव्यक्ती |
भस्मासुर तो नाय, इकठ्ठा सारी शक्ती ||

Thursday 26 September 2013

रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो -


न्यूज रूम का पारा पचास के पार !


My Photo

मौका देकर कर रहे, सम्पादक एहसान |
गाली देकर इसलिए, कर जाते अपमान |

कर जाते अपमान, नरम अपनाय रवैया |
करें व्यक्ति उत्थान, अन्यथा ता ता थैया |

तिगनी नाच नचाय, लगा जायेंगे चौका |
रविकर बंधुवा नाय, मिले बाहर भी मौका-


सपने !!! ( कविता )


"आकांक्षा के पर क़तर, तितर बितर कर स्वप्न |

दुःख अपने जो दें अगर, निश्चय बड़े कृतघ्न || 


पंचों से फैसला करा के ,मम्मी पापा बाँट लिए -सतीश सक्सेना

सतीश सक्सेना 







काम मिल गया दोनों को ही फिर जिंदड़ी आसान हुई -
पुन: बुढ़ापा आहें भरता, तन्हाई मेहमान हुई |


दिल्ली की ही देन, बड़े आतंकी नक्सल

नक्सल ने नेता हने, गर्म दिखे युवराज |
छत्तिसगढ़ सरकार को, कोस रहे हैं आज |

कोस रहे हैं आज, आज ही घुस आतंकी |
मारे सैनिक ढेर, नहीं बोले पर बंकी |

नहीं दिखे अब शर्म, काम नहिं करती अक्कल |
दिल्ली की ही दे, बड़े आतंकी नक्सल ||



सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ-
सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ |
अब क्या आशा राम से, हो रहे स्खलित विज्ञ |


हो रहे स्खलित विज्ञ, बने खरदूषण साले |

घालमेल का खेल, बुराई कुल अपना ले |



नित आगे की होड़, रखेंगे बढ़ा ताजिया |

सिया सती की लाज, बचा ले पकड़ हाँसिया ||

वर्धा ब्लॉगर सम्मलेन -जो किसी ने नहीं लिखा!

noreply@blogger.com (arvind mishra) 

मुर्गे की इक टांग से, कंठी माला टांग |
उटपटांग हरकत करे, कूद फांद फर्लांग |
कूद फांद फर्लांग , बांग मुर्गा जब देता |
पंडित करते स्वांग, ॐ बोले अभिनेता |
अभिनय में उस्ताद, सोचते हैं आगे की |
अगर गले ना दाल, तब टांग चले मुर्गे की || 


माटी - दोहे

माटी का पुतला पुन:, माटी में मिल जाय |
रविकर माटी डाल मत, कर उत्थान उपाय ||

काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक-



लाशों पर टेबुल सजे, बैठे भारत पाक |
काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक |

कट जाने दो नाक, करें हमले वे दैनिक |
मरती जनता आम, मरें सीमा पर सैनिक |

रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो |
  फिर टकराओ जाम, अरी सरकारी लाशों || 

अगर शत्रु के नाम, बड़े आरोप लगाए -

कुटनी के करतूत से, कूटनीति नाकाम |
चालू है अब धूर्तता, पाई शक्ति तमाम |

पाई शक्ति तमाम, छूट अपराधी पाए |
अगर शत्रु के नाम, बड़े आरोप लगाए |

हेर फेर अज मेर, शेर की इज्जत लुटनी |
चूक हुई इस बार, फँसा देगी पर कुटनी ||