Tuesday 29 July 2014

साया बापू का उठा, *रूप-चन्द ग़मगीन -

" दुखद समाचार" रूपचन्द्र शास्त्री मयंक के पिताश्री श्रद्धेय घासीराम आर्य जी का देहावसान

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
 साया बापू का उठा, *रूप-चन्द ग़मगीन । 
हैं अर्पित श्रद्धा-सुमन, आत्मा स्वर्गासीन । 

आत्मा स्वर्गासीन, शान्ति से वहाँ विराजे । 
सहे दर्द परिवार, आज पाये जो ताजे । 

कह रविकर कविराय, पिता ने सब कुछ पाया । 
सदा रहें वे साथ, मात्र यह बदन नसाया ॥ 

Thursday 17 July 2014

भारत दुर्दिन झेल, भाग्य का तू तो मारा-

IIT-Ghandhi-Nagar के प्रवास पर,२८ को वापसी 
नारायणी दरिद्रता, अच्छे दिन की चाह ।
कंगाली कर बैठती, आटा गीला आह ।

आटा गीला आह, करम में लोढ़ा पत्थर ।
कैसे फिर नरनाह, यहाँ लाये दिन सुन्दर ।

भारत दुर्दिन झेल, भाग्य का तू तो मारा ।
पॉलिटिक्स ले खेल, लगा के रविकर नारा ॥ 

Sunday 13 July 2014

बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग-

मारे मारे फिर रहे, कृषक उद्यमी लोग । 
बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग । 

अच्छे दिन के योग, चाइना मुस्काता है । 
बढ़ा रहा उद्योग, उद्यमी भरमाता है । 

सस्ता चीनी माल, बिक रहा द्वारे द्वारे । 
रविकर रहा खरीद, माल ना बिके हमारे ॥ 

Friday 11 July 2014

बुरा उद्यमी व्यक्ति, भला करता जो चोरी -

कोरी लफ्फेबाजियां, फौरी करे निदान । 
यह ढफोरशंखी क्रिया, करे राह आसान । 

करे राह आसान, बैठ के गप्प मारिये । 
भली करें भगवान, पीढ़ियाँ सात तारिये । 

बुरा उद्यमी व्यक्ति, भला करता जो चोरी । 
कालिख से ही रंग, रखे क्यों चादर कोरी ।। 

Tuesday 8 July 2014

मना रहे नित जश्न, त्रस्त आधी-आबादी-

फिरे सड़क पर सिरफिरे, आँखें रहे तरेर । 
लूट रहे रमणी मणी, गली गली अंधेर । 

गली गली अंधेर, क्वाँर के ये उन्मादी ।
मना रहे नित जश्न, त्रस्त आधी-आबादी । 

करे नियंत्रित कौन, मौन मत रहना रविकर । 
कुत्तों को पहचान, जोर से मारो पत्थर ॥ 

Tuesday 1 July 2014

हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे--

छुवे हौसला आसमाँ, लाया तारे तोड़ । 
जोड़-तोड़ में धूर्त-जन, शकुनि-नीति से होड़। 

शकुनि नीति से होड़, दौड़ में शशक हमेशा। 
रहा युगों से हार, यही दे रहा सँदेसा । 

हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे । 
कर उद्यम अनवरत, जीतते हरदम कछुवे ॥