Wednesday, 25 January 2012

मेरी टिप्पणी : हुआ यह वोटर भारू ||

बेसुरम 

ठंडी-ठंडी ठंड पर 

बहुत सही है लेखनी, सही बहुत ही ठण्ड |
स्वेटर जैकेट इनर में, उड़ा साल का फंड |

उड़ा साल का फंड, ठण्ड पाकेट में पै गी |
सब नेता बरबंड, नार्थ में जमघट है गी |

कर लो खुब उत्पात, बाँट के पैसा दारु |
महँगाई सह ठण्ड, होय यह वोटर भारू ||

5 comments:

  1. उड़ा साल का फंड, ठण्ड पाकेट में पै गी |
    सब नेता बरबंड, नार्थ में जमघट है गी |

    भाई गज़ब...गज़ब...गज़ब...

    नीरज

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  2. दारू और वोट = गरीब की दिवाली

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  3. अच्छी रचना |गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  4. सटीक प्रस्तुति|
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  5. कुंडली पढ़कर दांत बजने लगे।

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