Thursday, 13 March 2014

झाड़ू झूमे अर्श पर, पंजे में लहराय-

होली की शुभकामनायें- रविकर प्रवास पर 
झाड़ू झूमे अर्श पर, पंजे में लहराय |
लेकिन कूड़ा फर्श पर, कैसे बाहर जाय-

कैसे बाहर जाय, डाल दे पानी इसपर |
पड़ा पड़ा सड़ जाय, होय कीचड़ सा सड़कर |

कीचड़ में फिर कमल, कमल लक्ष्मी पग चूमे |
पवन चले उनचास, मास दो झाड़ू झूमे ||

3 comments:

  1. बहुत सुंदर. होली की मंगलकामनाएँ !

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  2. ..............पड़ा पड़ा सड़ जाय, होय कीचड़ सा सड़कर .........
    बहुत सुन्दर अच्छा व्यंग

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