होली की शुभकामनायें- रविकर प्रवास पर
झाड़ू झूमे अर्श पर, पंजे में लहराय |
लेकिन कूड़ा फर्श पर, कैसे बाहर जाय-
कैसे बाहर जाय, डाल दे पानी इसपर |
पड़ा पड़ा सड़ जाय, होय कीचड़ सा सड़कर |
कीचड़ में फिर कमल, कमल लक्ष्मी पग चूमे |
पवन चले उनचास, मास दो झाड़ू झूमे ||
वाह बहुत खूब :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर. होली की मंगलकामनाएँ !
ReplyDelete..............पड़ा पड़ा सड़ जाय, होय कीचड़ सा सड़कर .........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अच्छा व्यंग