अ
मन भर सोना देह पे, सोना घोड़ा बेंच ।
राम राज्य आ ही गया, जी ले तू बिन पेंच ।1।
हक़ है झक मारौ फिरौ, बिना झिझक दिन रात |
मन भर सोना देह पे, सोना घोड़ा बेंच ।
राम राज्य आ ही गया, जी ले तू बिन पेंच ।1।
हक़ है झक मारौ फिरौ, बिना झिझक दिन रात |
लानत भेजौ पुलिस पर, गर कुछ घटै बलात |2।
सब मर्जों की दवा है, पुलिस फ़ौज सरकार ।
सावधान खुद क्यों रहें, इसकी क्या दरकार।3|
जीती बाजी बाज ने, नहीं आ रहा बाज |
नहीं लाज आती उसे, चला लूटता लाज || 4||
ब
गर गरिष्ठ भोजन करे, बन्दा बिन उद्योग ।
अल्प आयु में ही मरे, नर्क यहीं पर भोग ॥१॥
तन में कम पानी भरे, मन में भरे फितूर ।
पथरी, कथरी, थरथरी, पानी चढ़े जरूर ।२॥
मोच रोक दे कदम को, दम को रोके सोच ।
सोच मोच से बुरी है, रखो सोच में लोच॥३॥
बहुत खूब ।
ReplyDeleteदोनों कुण्डलियाँ बहुत सार्थक और अर्थपूर्ण l
ReplyDeleteविस्मित हूँ !