Tuesday, 12 January 2016

चाहे करो हलाल, किन्तु पशु से मत खेलो-

जल्लू कट्टू पर रहे, फिर से उठा सवाल |
लेकिन बकरा-ईद पर, सदा छुपाते खाल |
सदा छुपाते खाल, इसी पेटा को ले लो |
चाहे करो हलाल, किन्तु पशु से मत खेलो |
प्रगतिशील ये लोग, किराये के हैं टट्टू |
करते रहें प्रलाप, खेलिए जल्लू कट्टू ||

7 comments:

  1. हिंदु बटे हुये
    लगभग कटे हुये
    लंबे चौड़े टायटल
    को नाम के साथ ढोता हुआ।

    जातिवाद के अहंकार में
    अकड़ी गरदन कटने को तैय्यार।
    पर इर्ष्या द्वेष नफरत
    के बीज समाज में बोता हुआ ।
    सेकुलर लोग + मुस्लिम + इसाइ
    बचा कौन और कितने दिन।
    मरोगे सब मरोगे जब तक मोदी है
    जी लो बाकि दिन गिन दिन गिन।

    काश्मीर गया
    मालदा तैय्यार
    बाकि पुर्णिया कटिहार
    केरल साउथ तो पहले
    से ही पाक के गुण गा रहा।
    लड़ाके लड़ने को बगदादी
    के पास जा रहा।
    सो जा चादर तान कर
    सब ठीक ठाक है यह मान कर।
    देश की मिडीया केवल
    हिंदुओं का करती है अपमान।
    न्यायपालिका सदैव ताकतवर
    का ही करती है सम्मान।
    कौन मिटा रहा हिंदु
    शब्द की गरीमा को ।
    मत पहचानो यह ऐसा वायरस
    है कि हैंग कर देगा तेरे सिस्टम को


    राजेश अनुभव

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    1. बहुत सुंदर रचना !!
      धन्य हो
      आप
      ओर
      आपकी लेखनी !!!!!!

      Delete
    2. बहुत सुंदर रचना !!
      धन्य हो
      आप
      ओर
      आपकी लेखनी !!!!!!

      Delete
  2. कानून पर देश के
    मुस्कुराता हुं ।
    ताकत आधार है
    अपराध निर्धारण का।
    निर्बल को थर्ड डिग्री
    सबल से नार्को भी पूछ कर।
    कौन कहेगा कि हां
    करो मेरा नार्को टेस्ट करो।
    बालविवाह भयानक अपराध
    अफरोज का बलात्कार हत्या
    बाल सुलभ गलती शर्म शर्म।
    अफरोज छूट जाय जुबेनायल
    बिल न होने दिया पास।
    राज्यसभा को रोक कर तब तक
    रखा जब तक दरिंदा मासूम छूट न गया।
    ©® राजेश अनुभव

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  3. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार! मकर संक्रान्ति पर्व की शुभकामनाएँ!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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  4. सार्थक प्रस्तुति..

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