कुण्डलियाँ
सोलह आना सत्य है, है अशांति चहुँओर |
छली-बली से त्रस्त हैं, साधु-सुजन कमजोर |
साधु-सुजन कमजोर, आइये होंय इकठ्ठा |
उनकी जड़ में आज, डाल दें खट्टा-मठ्ठा |
ऋद्धि-सिद्धि सम्पत्ति, होय फिर सुखी जमाना |
मंगलमय नववर्ष, होय शुभ सोलह आना ||
दोहा
मंगलमय नव-वर्ष हो, आध्यात्मिक उत्कर्ष ।
बढे मान हर सुख मिले, विकसे भारत वर्ष ॥
दोहा
मंगलमय नव-वर्ष हो, आध्यात्मिक उत्कर्ष ।
बढे मान हर सुख मिले, विकसे भारत वर्ष ॥
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सामयिक रचना ...
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
नव वर्ष की मंगलकामनाऐं रविकर जी ।
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