Wednesday, 30 December 2015

मंगलमय नववर्ष, होय शुभ सोलह आना


कुण्डलियाँ 
सोलह आना सत्य है, है अशांति चहुँओर |
छली-बली से त्रस्त हैं, साधु-सुजन कमजोर | 
साधु-सुजन कमजोर, आइये होंय इकठ्ठा |
उनकी जड़ में आज, डाल दें खट्टा-मठ्ठा |
ऋद्धि-सिद्धि सम्पत्ति, होय फिर सुखी जमाना |
मंगलमय नववर्ष, होय शुभ सोलह आना ||

दोहा 
मंगलमय नव-वर्ष हो, आध्यात्मिक उत्कर्ष ।
बढे मान हर सुख मिले, विकसे भारत वर्ष ॥ 

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर सामयिक रचना ...
    आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. नव वर्ष की मंगलकामनाऐं रविकर जी ।

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