Sunday, 21 September 2014

कोड़े खाते तुर्क वो, जो इराक में रॉक-

कोड़े खाते तुर्क वो, जो इराक में रॉक । 
गरबा पूजा के लिए, फिर रगड़ो क्यों नाक । 

फिर रगड़ो क्यों नाक, समझ लो मित्र कायदा । 
मंसूबे नापाक, उठाते रहे फायदा । 

रविकर लव-जेहाद, राह में डाले रोड़े । 
जागा हिन्दु समाज,  नाक-भौं तभी सिकोड़े । 

8 comments:

  1. जाग गया ? अच्छा हो गया ।
    बहुत खूब ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-09-2014) को "जिसकी तारीफ की वो खुदा हो गया" (चर्चा मंच 1744) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. मंसूबे नापाक समझे न हिन्दू जात
    काल पूर्व में भी खाते आए मात....
    इन्हें दूसरों की बहू बेटियों से खेलने मे मजा आता है, बात जब अपने पर आती है तो कोड़े शुरू हो जाते हैं॥ दुख तो इस बात का है कि इस सच को कहने का साहस किसी हिन्दू में नहीं है ॥

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जागा हिन्दुस्तान नाक-भौं अब इनकी तोड़े
    गीदड़ का समझादो न वह रूख सहर को मोड़े




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  5. बहुत सशक्त सार्थक लेखन .

    रविकर लव-जेहाद, राह में डाले रोड़े ।
    जागा हिन्दु समाज, नाक-भौं तभी सिकोड़े ।

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  6. ऐसी करनी पर पर्दा डालनेवाले हमारे यहाँ कम हैं क्या ?

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    अष्टमी-नवमी और गाऩ्धी-लालबहादुर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    मान्यवर,
    दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाल साहित्य संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
    जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले ब्लॉगर्स का रखा गया है।
    हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले इसमें प्रतिभाग करने के लिए 10 ब्लॉगर्स को आमन्त्रित करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।
    कृपया मेरे ई-मेल
    roopchandrashastri@gmail.com
    पर अपने आने की स्वीकृति से अनुग्रहीत करने की कृपा करें।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
    सम्पर्क- 07417619828, 9997996437
    कृपया सहायता करें।
    बाल साहित्य के ब्लॉगरों के नाम-पते मुझे बताने में।

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  8. सशक्त सुन्दर प्रस्तुति
    स्वयं शून्य

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