सदी रही उन्नीस की, रहा सितम्बर मास ।
प्रवचन दिया नरेंद्र ने, हिन्दु धर्म पर ख़ास।
हिन्दु धर्म पर ख़ास, बदल जाती वह काया।
आया पुन: नरेंद्र, विश्व को राह दिखाया ।
करे राष्ट्र उत्थान, संभाली जबसे गद्दी ।
करता जाय विकास, मिटाता जाय त्रासदी ।
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteसुन्दर दृष्टि, उत्तम रचना सादर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आशु रचना सार्थक और विमर्श योग्य .उन्नीस को इक्कीस कर लें .
ReplyDeleteस्वामी विवेकानंद का प्रवचन भी सितम्बर में शिकागो में हुआ था-उसी की तरफ संकेत है-वह उन्नीसवीं सदी थी यह इक्कीसवीं है --सादर
Deleteकरे राष्ट्र उत्थान, संभाली जबसे गद्दी ।
ReplyDeleteकरता जाय विकास, मिटाता जाय त्रासदी ।
सटीक पंक्तिया, विकास हो त्रासदी मिटे चारोंओर खुशहाली हो
यही कामना हम सब करते है,
आभार ...
सुंदर आदरणीय !
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 1 . 10 . 2014 दिन बुद्धवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
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उम्मीदें हैं पर देखना होगा कि परिणाम क्या होता है। स्वयं शून्य
ReplyDeleteसदी रही इक्कीस की .....
ReplyDeleteसुन्दर मनोहर .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
अष्टमी-नवमी और गाऩ्धी-लालबहादुर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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मान्यवर,
दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाल साहित्य संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले ब्लॉगर्स का रखा गया है।
हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले इसमें प्रतिभाग करने के लिए 10 ब्लॉगर्स को आमन्त्रित करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।
कृपया मेरे ई-मेल
roopchandrashastri@gmail.com
पर अपने आने की स्वीकृति से अनुग्रहीत करने की कृपा करें।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
सम्पर्क- 07417619828, 9997996437
कृपया सहायता करें।
बाल साहित्य के ब्लॉगरों के नाम-पते मुझे बताने में।
उस नरेन्द्र से इस नरेन्द्र तक की यात्रा मैं कैसे-कैसे पड़ाव आए पर लोग कितना चेते हैं यह तो समय ही बताएगा.
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