उनका मायका, मेरी मौज!
मइके भौजी क्या गईं, निकले बच्चू पंख ।
पड़ा खुला दरबार है, फूँक बुलाते शंख ।
फूँक बुलाते शंख, जमा हों संगी साथी |
आज जमेगा रंग, नहीं कुछ प्रवचन पाथी ।
पले खास जासूस, जमे देखे मनमौजी ।
मोबाइल का नाश, फाट पड़ती है भौजी ।।
भारतीय नारी
उच्चारण
अक्षर अक्षर पढ़ लिया, होय हिया पैबस्त ।
भारतीय नारी
निराधार कारण बड़े, करें कलेजा चाक ।
मानव जिद्दी नासमझ, समझे मोक्ष तलाक ।। छोटी सी यह इल्तिजा, हो जाएँ माँ पूर ।
पंख मिलें हर पट खुले, उड़ कर आऊं दूर ।।उच्चारण
भाई मेरे हुवे पडोसी, जिन्हें साथ माँ पोसी ।
आज खून रिश्ते से रिसता, बना खून का दोषी ।।अक्षर अक्षर पढ़ लिया, होय हिया पैबस्त ।
बस इतना ही कह सका, जबरदस्त अति-मस्त ।
जबरदस्त अति-मस्त, नशे में मच्छर घूमें ।
मरता होकर पस्त, नहीं कोई भी चूमे ।
भटक आत्मा मोर, तलाशे इक घर प्यारा ।
हिम्मत रही बटोर, बने आदमी दुबारा ।।
! कौशल !
ममता की फितरत गजब, अजब है इनका हाल ।
घटे समर्थक राज्य में, हैं बिगड़े सुरताल ।
हैं बिगड़े सुरताल, मौत बच्चों की देखे ।
पीकर मरे हजार, मौत सब इसके लेखे ।
रेल बजट पर आज, करे ये नाटक भारी ।
करे काम न काज, बिना ममता महतारी ।
छेद छेद में भेद है, दे छल-छिद्र खरेद ।
*छेदा छेदक में लगे, अबकी देगा भेद ।।
*घुन
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......
ReplyDeleteMY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
सटीक रचना,......
ReplyDeleteआपका अन्दाज़ अनोखा् है!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
bahut shandar prastuti.meri post par aapki tippani ne meri post ki mahatta ko char guna kar diya hai.aabhar.
ReplyDeletesarthak post .aabhar ...मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड
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