Sunday, 1 April 2012

"आज फस्ट अप्रैल है ना!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

पर टिप्पणी--

 


आज  मैं  ने  तो सचमुच  मूर्खता  ही  कर  डाली । ३ मार्च के बाद की साडी पोस्ट गलती से डिलीट हो गई । हाय क्या करूँ ?? आप मदद कर सकते हैं क्या ?? आज की पोस्ट भी डिलीट हो गई ।  लगभग    25 पोस्ट ।। कोई  तो मदद करो  भाई ।


 

कुंडली

नहीं बैद्यकी चल सकी, बना स्वयं ही फूल  ।
खिसियानी बिल्ली सरिस , झोंक रहा था धूल ।
झोंक रहा था धूल, बनाता बुद्धू किसको ।
था माता का स्नेह, डुबाता स्वारथ उसको ।
मानव सात अरब, मगर लक्षण का अंतर ।
मात्र चार ही वर्ग,   मिलें हर जगह निरंतर ।

१)
अत्याधिक हुशियार हैं, दुनिया मूर्ख दिखाय।
जोड़-तोड़ से हर जगह, लेते जगह बनाय ।।
२)
सचमुच में हुशियार हैं, हित पहलें ले साध ।
 कर्म वचन में धार है , बढ़ते  रहें अबाध ।।
 ३)
 इक बन्दा सामान्य है, साधे जीवन मूल ।
 कुल समाज भू देश हित, साधे सरल उसूल ।
४)
इस श्रेणी रविकर पड़ा, महामूर्ख अनजान ।
दुनियादारी से विलग, माने चतुर सयान ।। 

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