"आज फस्ट अप्रैल है ना!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पर टिप्पणी--
आज मैं ने तो सचमुच मूर्खता ही कर डाली । ३ मार्च के बाद की साडी पोस्ट गलती से डिलीट हो गई । हाय क्या करूँ ?? आप मदद कर सकते हैं क्या ?? आज की पोस्ट भी डिलीट हो गई । लगभग 25 पोस्ट ।। कोई तो मदद करो भाई । |
कुंडली
नहीं बैद्यकी चल सकी, बना स्वयं ही फूल ।
खिसियानी बिल्ली सरिस , झोंक रहा था धूल ।
झोंक रहा था धूल, बनाता बुद्धू किसको ।
था माता का स्नेह, डुबाता स्वारथ उसको ।
मानव सात अरब, मगर लक्षण का अंतर ।
मानव सात अरब, मगर लक्षण का अंतर ।
मात्र चार ही वर्ग, मिलें हर जगह निरंतर ।
१)
अत्याधिक हुशियार हैं, दुनिया मूर्ख दिखाय।
जोड़-तोड़ से हर जगह, लेते जगह बनाय ।।
२)
सचमुच में हुशियार हैं, हित पहलें ले साध ।
कर्म वचन में धार है , बढ़ते रहें अबाध ।।
३)
इक बन्दा सामान्य है, साधे जीवन मूल ।
कुल समाज भू देश हित, साधे सरल उसूल ।
४)
इस श्रेणी रविकर पड़ा, महामूर्ख अनजान ।
दुनियादारी से विलग, माने चतुर सयान ।।
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