सच कहा ... जिसको रोटी भी नसीब नहीं उसके लिए तो दावा ही है रोटी ....मज़बूत ...
बढ़िया रचना , आ. धन्यवाद ! I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुंदर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।-- आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-06-2014) को "समीक्षा केवल एक लिंक की.." (चर्चा मंच-1639) पर भी होगी!--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सर...मामला चुपड़ी रोटी का है...रूखी-सूखी खाय के ठंडा पानी पीय...
दवा को पचाने के लिए भी रोटी चाहिए वरना दवा ज्यादा हो जाएगी रोटी अल्पांश में आ जाएगी .
सच कहा ... जिसको रोटी भी नसीब नहीं उसके लिए तो दावा ही है रोटी ....
ReplyDeleteमज़बूत ...
बढ़िया रचना , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-06-2014) को "समीक्षा केवल एक लिंक की.." (चर्चा मंच-1639) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सर...मामला चुपड़ी रोटी का है...रूखी-सूखी खाय के ठंडा पानी पीय...
ReplyDeleteदवा को पचाने के लिए भी रोटी चाहिए वरना दवा ज्यादा हो जाएगी रोटी अल्पांश में आ जाएगी .
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