Sunday, 29 June 2014

सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के-

टके टके पे टकटकी, लटके झटके देख ।
मटके मँहगाई मुई, व्याकुल पंडित शेख । 

व्याकुल पंडित शेख, आज भी भारत भूखा। 
घाटे का आलेख, स्रोत्र आमद का सूखा ।  

संभावना अपार, बढ़े आगे बेखटके । 
सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के ।। 

7 comments:

  1. बहुत बढ़िया । सपने देखने में रोक के लिये अभी कोई कानून नहीं बना है अच्छा है ना :)

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  2. हट के निर्णय करने का समय शायद आ गया है ... समय ही बतायगा अब ...

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (01-07-2014) को ""चेहरे पर वक्त की खरोंच लिए" (चर्चा मंच 1661) पर भी होगी।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. अति प्रेरक पोस्ट। खजाना खाली करके गई है कांग्रेस ,वित्त मंत्री तो इस खौफ से चुनाव ही नहीं लड़े। अब सोनिया जी के झंडे भी उखाड़ने वाले हैं।

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  5. देश की हालत पहले से बिगड़ी पड़ी है ,प्रतीक्षा ,धैर्य ,साहस की घड़ी है ,मोदी जी के पास नहीं कोई जादू की छड़ी है ,प्रेरणादायक रचना

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  6. सुन्दर रचना गढ़ी है रविकर जी आपने
    संभावना अपार, बढ़े आगे बेखटके ।
    सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के ।। ये पक्तिया तो विशेष पसंद आयी | सम्भावनाये तो सरकार के पास काफ़िर है पर उन्हें पहचान कर निर्णय लेने की देरी है |

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