बहुत सुन्दर प्रस्तुति। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (01-07-2014) को ""चेहरे पर वक्त की खरोंच लिए" (चर्चा मंच 1661) पर भी होगी। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचना गढ़ी है रविकर जी आपने संभावना अपार, बढ़े आगे बेखटके । सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के ।। ये पक्तिया तो विशेष पसंद आयी | सम्भावनाये तो सरकार के पास काफ़िर है पर उन्हें पहचान कर निर्णय लेने की देरी है |
बहुत बढ़िया । सपने देखने में रोक के लिये अभी कोई कानून नहीं बना है अच्छा है ना :)
ReplyDeleteहट के निर्णय करने का समय शायद आ गया है ... समय ही बतायगा अब ...
ReplyDeleteसुंदर व सटीक , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (01-07-2014) को ""चेहरे पर वक्त की खरोंच लिए" (चर्चा मंच 1661) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अति प्रेरक पोस्ट। खजाना खाली करके गई है कांग्रेस ,वित्त मंत्री तो इस खौफ से चुनाव ही नहीं लड़े। अब सोनिया जी के झंडे भी उखाड़ने वाले हैं।
ReplyDeleteदेश की हालत पहले से बिगड़ी पड़ी है ,प्रतीक्षा ,धैर्य ,साहस की घड़ी है ,मोदी जी के पास नहीं कोई जादू की छड़ी है ,प्रेरणादायक रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना गढ़ी है रविकर जी आपने
ReplyDeleteसंभावना अपार, बढ़े आगे बेखटके ।
सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के ।। ये पक्तिया तो विशेष पसंद आयी | सम्भावनाये तो सरकार के पास काफ़िर है पर उन्हें पहचान कर निर्णय लेने की देरी है |