अपना इक आवास हो, हो मुट्ठी में वित्त ।
स्नेह-सिक्त माहौल में, सही वात-कफ़-पित्त ।
सही वात-कफ़-पित्त, चित्त में हर्ष समाये ।
बढ़ा आत्म-विश्वास, सदा यश-आयु बढ़ाये ।
रिश्तों से उम्मीद, हमेशा थोड़ी रखना ।
कहता रविकर वृद्ध, ख्याल खुद रखिये अपना॥
स्नेह-सिक्त माहौल में, सही वात-कफ़-पित्त ।
सही वात-कफ़-पित्त, चित्त में हर्ष समाये ।
बढ़ा आत्म-विश्वास, सदा यश-आयु बढ़ाये ।
रिश्तों से उम्मीद, हमेशा थोड़ी रखना ।
कहता रविकर वृद्ध, ख्याल खुद रखिये अपना॥
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteसब कुछ तो चाह लिया - घर ,धन ,स्वास्थ्य,पारिवारिक स्नेह, आत्मविश्वास ,यश - अब कहाँ कुछ बचा 'रखिये कम उम्मीद' के लिए !
ReplyDeleteवाह रविकर जी, मान गये आपको !
आभार आदरेया-
Deleteशायद यह अधिक स्पष्ट है-
सादर
रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
कह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥
ReplyDeleteरखिये कम उम्मीद, पड़ेगा नहीं कलपना ।
कह रविकर से वृद्ध, सुखी हो जीवन अपना॥
शानदार पंक्तियाँ |
रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
ReplyDeleteकह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥
kya baat satik hai ... aabhar kavivar !
रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
ReplyDeleteकह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥
.सच कहा आज रिश्तों से ज्यादा अपने पर उम्मीद रखने में ही भलाई है ...
वाह बहुत खूब। आपकी सीख सर आँखों पर।
ReplyDeleteसूक्तियाँ रविकर की जीवन सार लिए हैं .
ReplyDeleteस्वास्थ्य की कुंजी भी है खुद से साक्षात्कार भी है इन पंक्तियों में .
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