Tuesday 12 August 2014

कह रविकर से वृद्ध, सुखी हो जीवन अपना-

अपना इक आवास हो, हो मुट्ठी में वित्त । 
स्नेह-सिक्त माहौल में, सही वात-कफ़-पित्त । 

सही वात-कफ़-पित्त, चित्त में हर्ष समाये । 
बढ़ा आत्म-विश्वास, सदा यश-आयु बढ़ाये । 

रिश्तों से उम्मीद, हमेशा थोड़ी रखना । 
कहता रविकर वृद्ध, ख्याल खुद रखिये अपना॥ 

10 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन

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  2. सब कुछ तो चाह लिया - घर ,धन ,स्वास्थ्य,पारिवारिक स्नेह, आत्मविश्वास ,यश - अब कहाँ कुछ बचा 'रखिये कम उम्मीद' के लिए !
    वाह रविकर जी, मान गये आपको !

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    1. आभार आदरेया-
      शायद यह अधिक स्पष्ट है-
      सादर

      रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
      कह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥

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  3. रखिये कम उम्मीद, पड़ेगा नहीं कलपना ।
    कह रविकर से वृद्ध, सुखी हो जीवन अपना॥
    शानदार पंक्तियाँ |

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  4. रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
    कह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥
    kya baat satik hai ... aabhar kavivar !

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  5. रिश्तों से उम्मीद, आज-कल थोड़ी रखना ।
    कह रविकर से वृद्ध, जियो खुद जीवन अपना॥
    .सच कहा आज रिश्तों से ज्यादा अपने पर उम्मीद रखने में ही भलाई है ...

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  6. वाह बहुत खूब। आपकी सीख सर आँखों पर।

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  7. सूक्तियाँ रविकर की जीवन सार लिए हैं .

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  8. स्वास्थ्य की कुंजी भी है खुद से साक्षात्कार भी है इन पंक्तियों में .

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