Monday 6 January 2014

अजब गजब विश्वास, किन्तु दिल्ली है चक चक -


"आप" मुझे दिल्ली ही रहने दें .. प्लीज !

महेन्द्र श्रीवास्तव 






औचक होवे जांच जब, मुखड़े पर हो रोष । 
करिये अभिनय आप फिर, गर कैमरा सदोष । 

गर कैमरा सदोष, करे राखी हंगामा । 
सिसोदिया की कार, कहीं भूषण हे रामा । 

अजब गजब विश्वास, किन्तु दिल्ली है चक चक । 
ख़तम हुई नहिं आस, निरीक्षण होते औचक ॥ 


उस दिन तो प्रभू हमारे साथ थे

गगन शर्मा, कुछ अलग सा 

अपने भक्तों का रखें, प्रभु जी नियमित ध्यान । 
हम ही अक्सर भूलते, वशीभूत अज्ञान । 

वशीभूत अज्ञान , बने प्रभु आज परीक्षक । 
साहस श्रद्धा धैर्य, हुवे रविकर संरक्षक ।

ईश्वर पर विश्वास, पूर्ण कर देता सपने ।  
नमो नमो ले जाप, कष्ट मिट जाएँ अपने ।। 


" आम आदमी पार्टी " पर मीडिया की मेहरबानी !!पूरण खण्डेलवाल 
शंखनाद  


बड़ा बिकाऊ माल है, पड़ा मीडिया टूट |

रहा बजाता गाल है, नोट वोट ले लूट |


नोट वोट ले लूट, गए फिर बूट लादने |

बकवादी को छूट, झूठ की फसल काटने |


नए वेश में वाम, किन्तु है नहीं टिकाऊ |

पोल खोलते काम, आप है बड़ा बिकाऊ ||   

बड़ी बड़ी बीमारियाँ, प्रावधान उपयुक्त |
फिर भी बढ़ती जा रहीं, देह नहीं हो मुक्त |
देह नहीं हो मुक्त, सोच भी लंगड़ी-लूली |
थमे नहीं ना रेप, चढ़ाये कितने शूली |
स्टिंग ऑप्रेशन देख, सजा दे देता तगड़ी |
घूसखोर सस्पेंड, ख़त्म पर कहाँ गड़बड़ी ||

  झगड़ा झंझट झल झटक, दो दूजे को सौंप |
जनमत संग्रह दे करा, यही आप की *चौप |

यही आप की चौप, बोलता नाप तौल कर |
जहाँ जहाँ उत्पात, वहाँ की खातिर अवसर |

टुकड़े टुकड़े देश, आप का भूषण तगड़ा |
है वकील यह तेज, तुरत निपटाए झगड़ा || 

*इच्छा 

11 comments:

  1. बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , आ० धन्यवाद
    ॥ जय श्री हरि: ॥

    ReplyDelete
  2. बढिया लिंक्स
    मुझे शामिल करने का आभार

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया टिप्पणियाँ..बढ़िया लिंक्स...
    आभार
    अनु

    ReplyDelete
  4. वाह...बहुत बढ़िया लिंक...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

    ReplyDelete
  5. क्या बात है बहुत सुन्दर काव्यात्मक प्रस्तुति भक्त और भक्ति की -

    उस दिन तो प्रभू हमारे साथ थे
    गगन शर्मा, कुछ अलग सा
    कुछ अलग सा

    अपने भक्तों का रखें, प्रभु जी नियमित ध्यान ।
    हम ही अक्सर भूलते, वशीभूत अज्ञान ।

    वशीभूत अज्ञान , बने प्रभु आज परीक्षक ।
    साहस श्रद्धा धैर्य, हुवे रविकर संरक्षक ।

    ईश्वर पर विश्वास, पूर्ण कर देता सपने ।
    नमो नमो ले जाप, कष्ट मिट जाएँ अपने ।।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (08-01-2014) को "दिल का पैगाम " (चर्चा मंच:अंक 1486) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया लिंक.

    ReplyDelete