Tuesday, 1 July 2014
हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे--
छुवे हौसला आसमाँ, लाया तारे तोड़ ।
जोड़-तोड़ में धूर्त-जन, शकुनि-नीति से होड़।
शकुनि नीति से होड़, दौड़ में शशक हमेशा।
रहा युगों से हार, यही दे रहा सँदेसा ।
हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे ।
कर उद्यम अनवरत, जीतते हरदम कछुवे ॥
3 comments:
शारदा अरोरा
1 July 2014 at 03:15
बढ़िया ...रचना थोड़ी लम्बी होती तो और प्रभावशाली बन पाती...
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सुशील कुमार जोशी
1 July 2014 at 06:33
बढ़िया :)
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रश्मि शर्मा
1 July 2014 at 08:33
बहुत बढ़िया...
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बढ़िया ...रचना थोड़ी लम्बी होती तो और प्रभावशाली बन पाती...
ReplyDeleteबढ़िया :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
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