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अरुण कुमार निगम
दोनिया पंचामृत भरी, दोना भरा प्रसाद |
भोग लगाओ प्रेम से, होवे मंगल-नाद | होवे मंगल-नाद, शंख शुभ झांझर बाजे | मनभावन श्रृंगार, मांग में सिंदूर साजे ||
बना रहे अहिवात, जियो हे सुयश सोनिया |
कर पंचामृत पान, अँजूरी धरो दोनिया || |
Can Vitamin C Help My Immune System ?
Virendra Kumar Sharma
ताजे फल तरकारियाँ, नींबू मिर्ची तीक्ष्ण |
करिए नित व्यायाम भी, नियमित सेहत वीक्ष्ण | नियमित सेहत वीक्ष्ण, रोग रोधी होती है | टूट-फूट कोशिका, इन्हें भी संजोती है | रखिये अपना ख्याल, समझिये जरा तकाजे | गर्म दुशाला डाल, रहो बन हरदम ताजे || |
गीर अभ्यारण : शेर ही शेरमहेन्द्र श्रीवास्तव
आधा सच...
संसद से चालू सड़क, धड़क धड़क गिरि जाय | कुत्तों से ही अनगिनत, रविकर झुण्ड दिखाय | रविकर झुण्ड दिखाय, इन्हें भी सिंह कहे हैं- होकर राजा श्रेष्ठ, शेरनी-जुल्म सहे हैं | रहे बोलती बंद, प्रफुल्लित हम हैं बेहद | जारी है दृष्टांत, देखनी यह भी संसद || |
हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!
Sonal Rastogi
करने को तो बहुत है, पर बढ़िया यह काम । आस-पास जो भी रहे, जीना करो हराम । जीना करो हराम, सामने मधु की गोली । पीछे हों षड्यंत्र, जहर जीवन में घोली । धारावाहिक सार, चलो सब सजे संवरने । कोई भी त्यौहार, बहू को सारे करने ।। कार्टून कुछ बोलता है- पैरेंट्स व्यथा !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
आयर-लैंडी भ्रूण हो, हो असमय नहिं मौत । बचपन बीते नार्वे, मातु-पिता गर सौत । मातु-पिता गर सौत, हेकड़ी वहां भुला दे । यू के में पढ़ युवा, सेक्स ब्राजील खुला दे । शादी भारत आय, सके नहिं लेकिन कायर । बिता बुढापा जाय, सही सबसे है आयर ।। |
बेहतरीन लिंक्स के साथ उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
शुभ विवाक पद पर काव्य सौन्दर्य देखते ही बनता है .बधाई इधर भी उधर भी .
ReplyDeleteशुभ कामनाएं ब्लॉग परिवार की .सुयश पायें सुमंगल गायें ,जग जग जिए प्रसंन्न वदना जुगल .
ReplyDeleteदोनिया पंचामृत भरी, दोना भरा प्रसाद |
भोग लगाओ प्रेम से, होवे मंगल-नाद |
होवे मंगल-नाद, शंख शुभ झांझर बाजे |
मनभावन श्रृंगार, मांग में सिंदूर साजे ||
बना रहे अहिवात, जियो हे सुयश सोनिया |
कर पंचामृत पान, अँजूरी धरो दोनिया ||
शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
ReplyDeletenice .
ReplyDeleteधन्यवाद आपका रविकर जी!
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