" ये भारतीय नारी है-लाने वाली बीमारी है " ??
PD
SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN
and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of
PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
आजादी है बंधुवर, सुधर रहे ख्यालात |
नारीवादी शक्तियां, बूझ रहीं हालात | बूझ रहीं हालात, नहीं प्रतिबन्ध कुबूलें | हो जाए संसर्ग, पुरुष के माफिक भूलें | रफा-दफा कर केस, मामला बिलकुल ताजा | करें पार्टी लेट, गिराकर झटपट आजा || |
सोना सोना बबकना, पेपर टिसू मरोड़ ।
बना नाम आदर्श अब, अहं पुरुष का तोड़ । अहं पुरुष का तोड़, आज की सीधी धारा । भजते भक्त करोड़, भिगोकर कैसा मारा । हैडन कर हर भजन, भरो परसाद भगोना । पेपर टिसू अनेक, मांगते मंहगा सोना ।। |
Jai Sudhir
Bitter talk , But real talk
परिवर्तन है कुदरती, बदला देश समाज । बदल सकी नहिं कु-प्रथा, अब तो जाओ बाज । अब तो जाओ बाज, नहीं शोषण कर सकते । लिए आस्था नाम, पाप सदियों से ढकते । दो इनको अधिकार, जियें ये अपना जीवन । बदलो गन्दी प्रथा, जरुरी है परिवर्तन । |
महफ़िल में इस ख़याल से फिर आ गया हूँ मैं :-)
(Arvind Mishra)
भेजी बेनामी गईं, गुरुवर चिट्ठी ढेर ।
पता नया नहिं था पता, होती गई कुबेर ।
होती गई कुबेर, किन्तु हर समय प्रतीक्षा ।
नहीं देर अंधेर, दीजिये पावन दीक्षा ।
गुरुवाइन का साथ, विदेशी लवली डेजी ।
मिलते ही सन्देश, नमस्ते सीधे भेजी ।।
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मेरी रत्ना को ऐसे तेवर दे
अरुण कुमार निगम
सुन्दर-शारद-वन्दना, मन का सुन्दर भाव ।
ढाई आखर से हुआ, रविकर हृदय अघाव ।
रविकर हृदय अघाव, पाव रत्ना की झिड़की ।
मिले सूर को नयन, भक्ति की खोले खिड़की ।
कथ्य-शिल्प समभाव, गेयता निर्मल अंतर ।
मीरा तुलसी सूर, कबीरा गूँथे सुन्दर ।।
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बहुत बढिया।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत अच्छे लिंक साँझा हैं आपने रविकर जी
ReplyDeleteधन्यवाद !!
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html
बहुत अच्छी रचनाएं और लिंक्स भी।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!अच्छी रचनाएं और लिंक्स!
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDelete
ReplyDeleteआजादी है बंधुवर, सुधर रहे ख्यालात |
नारीवादी शक्तियां, बूझ रहीं हालात |
बूझ रहीं हालात, नहीं प्रतिबन्ध कुबूलें |
हो जाए संसर्ग, पुरुष के माफिक भूलें |
रफा-दफा कर केस, मामला बिलकुल ताजा |
करें पार्टी लेट, गिराकर झटपट आजा ||
परिवर्तन का दौर है बूझ सके तो बूझ ,पर कंडोम न भूल गुइयाँ पर कंडोम न भूल .
अजी असली डाटा कार्ड के लिए आदमी को अपनी शिनाख्त देनी पड़ती है फिर उस शिनाख्त की भी संपुष्टि की जाती है .नकली की और बात है .आप आये बहार आई .
ReplyDeleteएक शैर आपकी नजर घिसा पिटा ही सही -
इन देखके ये देख संवरने वाले ,
तुझपे बेज़ा तो नहीं मारतें हैं मरने वाले .
मेहरबान होक बुला लो मुझको ,
मैं कोई गया वक्त नहीं ,जो लौट के आ न सकूं .
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप ,
महफ़िल में तेरी इसलिए ,फिर आ गया हूँ मैं .
हाँ वह सूट वाला फोटू बहुत टाईट है .फंसा हुआ है सूट काया में कोई दूसरा फोटुवा लगा लो .चाहने वाले और भी हैं आपके .
महफ़िल में इस ख़याल से फिर आ गया हूँ मैं :-)
(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि...
भेजी बेनामी गईं, गुरुवर चिट्ठी ढेर ।
पता नया नहिं था पता, होती गई कुबेर ।
होती गई कुबेर, किन्तु हर समय प्रतीक्षा ।
नहीं देर अंधेर, दीजिये पावन दीक्षा ।
गुरुवाइन का साथ, विदेशी लवली डेजी ।
मिलते ही सन्देश, नमस्ते सीधे भेजी ।
कई लिंक्स दी हैं पढने के लिए |
ReplyDeleteआशा