मेरे पिता ही मेरी माँ -- 2- दिसम्बर जन्मदिन पर विशेष
संजय भास्कर
सदा कीजिए नेह की, मंगलमय बरसात । रहें स्वस्थ शुभकामना, हे संजय के तात । हे संजय के तात, भास्कर करे उजाला । संस्कार शुभ श्रेष्ठ, आपने विधिवत पाला । जन्मदिवस पर तात, हमें आशीष दीजिये । रविकर संजय मित्र, नेह यूँ सदा कीजिए ।। |
कव्वाली
UMA SHANKER MISHRA
लाल लगा जो लाल को, हुआ लाल-कव्वाल | लालबुझक्कड़ लालमन, खाए मिर्ची लाल | खाए मिर्ची लाल, गजलखाते में डाले | ब्लॉग रहे आबाद, एक से एक मसाले | लालायित नहिं उमा, वहां सम्बन्ध सगा जो | जाता है हर समय, खीज नहिं लाल लगा जो- |
दूरियां हों लाख - याद है जाती नहीं"अनंत" अरुन शर्मा
यह जुबाँ कहती जुबानी, है जवानी ढाल पर ।
क्या करें शिकवा शिकायत, खुश दिखूं बदहाल पर ।
वापसी मुश्किल तुम्हारी, जानते हैं तथ्य दोनों
कौन किसकी इन्तजारी कर सका है साल भर ???
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लिखना, पढ़ना और टिपियाना
smt. Ajit Gupta
आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।
तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।
तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।
अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।
रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।
छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।
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ऑन दा स्पॉट बनी रचनाRajesh Kumari
शब्द शब्द श्रृंगार रस, चले लहरिया चाल ।
चले लहरिया चाल, मुक्त मुक्तावलि चमके ।
पड़ोसिनी लघु-कथा, बदन बिजुली सा दमके ।
कहीं मोहिनी रूप, काम-रति कहीं विचरते ।
खुले तीसरा नेत्र, दिखें पर कविता करते ।।
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कै सा करना होयगा, पकड़ सकूँ ना अर्थ ।
कै शब्दों से अपरचित, रविकर लिखना व्यर्थ ।।
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यह कविता नहीं....यशवन्त माथुर
जो मेरा मन कहे
कविता कहना हो कठिन, किन्तु मूल हैं भाव | शब्दों को तो चाहिए, थोडा सा ठहराव | थोडा सा ठहराव , ऊर्जा गतिज हमेशा | पैदा कर विखराव, नहीं दे सके सँदेशा | स्थिति-प्रज्ञ स्थितिज, देखिये ऊपर सविता | परिक्रमा कर धरा, धरा पर रचिए कविता || |
"बताओ कैसे उतरें पार?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
छेद नाव में जर्जर-नौका, कभी नहीं नाविक घबराये । जल-जीवन में गहरे गोते, सदा सफलता सहित लगाये । इतना लम्बा जीवन-अनुभव, नाव किनारे पर आएगी - पतवारों पर हमें भरोसा, सागर सगरा पार कराये ।। |
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सुन्दर बात
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अंकल।
ReplyDeleteसादर
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार इस प्रस्तुति के लिये
ReplyDeleteमेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार!
ReplyDeleteआपके कमेंट रूपी दोहे मेरी पोस्ट को ओर अधिक निखार देते है और मुझ जेसे नौ-सिखियों को हौसला भी। यूँ ही हौसला-अफजाई करते रहिएगा।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी। :))
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुंडलियों से टिपण्णी दी है आपने सभी उम्दा रचनाओं में ।
ReplyDeleteसही कहा है आपने ब्लोगियों को चिरकुट पसंद हैं समालोचक नहीं .अब बाहर तो शब्द ही होते हैं आदमी की मंशा आप नहीं भांप सकते .हम सदाशयता से ही टिपण्णी करतें हैं आलोचनात्मक भी .ज्ञान बघारने के लिए नहीं फिर भी कई मर्तबा उसे अन्यथा ले लिया जाता है .फोलो अप नहीं है टिप्पणियों का .एक तरफ़ा लोग संवाद बंद कर देते हैं .हाँ अगर आपके ब्लॉग पे कोई नियमित आ रहा है तो शालीनता का तकाजा है आप महानता का अपना लबादा उतार फैंके कभी तो उसकी भी हौसला अफजाई करें अगर वह गलत राय दे रहा है आप प्रति राय दे उसे ठीक करें .
ReplyDeleteमौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
लिखना, पढ़ना और टिपियाना
smt. Ajit Gupta
अजित गुप्ता का कोना
आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।
तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।
तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।
अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।
रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।
छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।
लहरों के हवाले छोड़ दो नौका .हाँ प्रमाद नहीं दृष्टा भाव से देखो सब -तुलसी भरोसे राम के ,रह्यो खाट पे सोय ,अनहोनी ,होनी नहीं ,होनी होय सो होय .
ReplyDelete"बताओ कैसे उतरें पार?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
छेद नाव में जर्जर-नौका, कभी नहीं नाविक घबराये ।
जल-जीवन में गहरे गोते, सदा सफलता सहित लगाये ।
इतना लम्बा जीवन-अनुभव, नाव किनारे पर आएगी -
पतवारों पर हमें भरोसा, सागर सगरा पार कराये ।।
सही कहा है आपने ब्लोगियों को चिरकुट पसंद हैं समालोचक नहीं .अब बाहर तो शब्द ही होते हैं आदमी की मंशा आप नहीं भांप सकते .हम सदाशयता से ही टिपण्णी करतें हैं आलोचनात्मक भी .ज्ञान बघारने के लिए नहीं फिर भी कई मर्तबा उसे अन्यथा ले लिया जाता है .फोलो अप नहीं है टिप्पणियों का .एक तरफ़ा लोग संवाद बंद कर देते हैं .हाँ अगर आपके ब्लॉग पे कोई नियमित आ रहा है तो शालीनता का तकाजा है आप महानता का अपना लबादा उतार फैंके कभी तो उसकी भी हौसला अफजाई करें अगर वह गलत राय दे रहा है आप प्रति राय दे उसे ठीक करें .
ReplyDeleteमौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
लिखना, पढ़ना और टिपियाना
smt. Ajit Gupta
अजित गुप्ता का कोना
आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।
तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।
तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।
अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।
रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।
छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।
ReplyDeleteमौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
इतना बढ़िया लिखा है ,दाद दे ,मर -बे -हवा कह .
नपाक जमीं पर कसाब बोते हैं
कोख सूनी या फिर बंजर कर दे
मंजर दिखा रहे हैं बारूदों का
लग जाये गले ऐसा मंतर दे
मौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
इतना बढ़िया लिखा है ,दाद दे ,मर -बे -हवा कह .
कव्वाली
UMA SHANKER MISHRA
उजबक गोठ
लाल लगा जो लाल को, हुआ लाल-कव्वाल |
लालबुझक्कड़ लालमन, खाए मिर्ची लाल |
खाए मिर्ची लाल, गजलखाते में डाले |
ब्लॉग रहे आबाद, एक से एक मसाले |
लालायित नहिं उमा, वहां सम्बन्ध सगा जो |
जाता है हर समय, खीज नहिं लाल लगा जो-
मियाँ रविकर मुलायम अली न बनो ,कुछ तो लिहाज़ करो ,टिपण्णी स्पेम ले रहा है आप क्या कर रहे हो जी ?
ReplyDeleteसही कहा है आपने ब्लोगियों को चिरकुट पसंद हैं समालोचक नहीं .अब बाहर तो शब्द ही होते हैं आदमी की मंशा आप नहीं भांप सकते .हम सदाशयता से ही टिपण्णी करतें हैं आलोचनात्मक भी .ज्ञान बघारने के लिए नहीं फिर भी कई मर्तबा उसे अन्यथा ले लिया जाता है .फोलो अप नहीं है टिप्पणियों का .एक तरफ़ा लोग संवाद बंद कर देते हैं .हाँ अगर आपके ब्लॉग पे कोई नियमित आ रहा है तो शालीनता का तकाजा है आप महानता का अपना लबादा उतार फैंके कभी तो उसकी भी हौसला अफजाई करें अगर वह गलत राय दे रहा है आप प्रति राय दे उसे ठीक करें .
ReplyDeleteमौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
इतना बढ़िया लिखा है ,दाद दे ,मर -बे -हवा कह .
मियाँ रविकर मुलायम अली न बनो ,कुछ तो लिहाज़ करो ,टिपण्णी स्पेम ले रहा है आप क्या कर रहे हो जी ?
ये आशु रचना बा -कायदा लिखी गई रचना से बढ़िया है राजेश जी कुमारी .
ReplyDeleteतेरा क्षणिक मिलना ऐ मेरी पड़ोसन मुझसे लघु कथा लिख वाये
तेरे आने की महक मन मोहिनी दीप्ती मेरे छंदों में बस जाए
ऑन दा स्पॉट बनी रचना
Rajesh Kumari
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
करते हैं खिलवाड़ तो, रचना बने कमाल ।
शब्द शब्द श्रृंगार रस, चले लहरिया चाल ।
चले लहरिया चाल, मुक्त मुक्तावलि चमके ।
पड़ोसिनी लघु-कथा, बदन बिजुली सा दमके ।
कहीं मोहिनी रूप, काम-रति कहीं विचरते ।
खुले तीसरा नेत्र, दिखें पर कविता करते ।।
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सही कहा है आपने ब्लोगियों को चिरकुट पसंद हैं समालोचक नहीं .अब बाहर तो शब्द ही होते हैं आदमी की मंशा आप नहीं भांप सकते .हम सदाशयता से ही टिपण्णी करतें हैं आलोचनात्मक भी .ज्ञान बघारने के लिए नहीं फिर भी कई मर्तबा उसे अन्यथा ले लिया जाता है .फोलो अप नहीं है टिप्पणियों का .एक तरफ़ा लोग संवाद बंद कर देते हैं .हाँ अगर आपके ब्लॉग पे कोई नियमित आ रहा है तो शालीनता का तकाजा है आप महानता का अपना लबादा उतार फैंके कभी तो उसकी भी हौसला अफजाई करें अगर वह गलत राय दे रहा है आप प्रति राय दे उसे ठीक करें .
ReplyDeleteमौजू मुद्दे उठाए हैं आपने .
इतना बढ़िया लिखा है ,दाद दे ,मर -बे -हवा कह .
मियाँ रविकर मुलायम अली न बनो ,कुछ तो लिहाज़ करो ,टिपण्णी स्पेम ले रहा है आप क्या कर रहे हो जी ?
ये आशु रचना बा -कायदा लिखी गई रचना से बढ़िया है राजेश जी कुमारी .
वाह वाह वाह अपनी आशुकविता का रविकर रूप देख कर स्तब्ध रह गई बहुत ही रोचक लिखा है आपने दिल से बधाई आदरणीय रविकर भाई
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