Sunday, 24 August 2014
Tuesday, 12 August 2014
कह रविकर से वृद्ध, सुखी हो जीवन अपना-
अपना इक आवास हो, हो मुट्ठी में वित्त ।
स्नेह-सिक्त माहौल में, सही वात-कफ़-पित्त ।
सही वात-कफ़-पित्त, चित्त में हर्ष समाये ।
बढ़ा आत्म-विश्वास, सदा यश-आयु बढ़ाये ।
रिश्तों से उम्मीद, हमेशा थोड़ी रखना ।
कहता रविकर वृद्ध, ख्याल खुद रखिये अपना॥
स्नेह-सिक्त माहौल में, सही वात-कफ़-पित्त ।
सही वात-कफ़-पित्त, चित्त में हर्ष समाये ।
बढ़ा आत्म-विश्वास, सदा यश-आयु बढ़ाये ।
रिश्तों से उम्मीद, हमेशा थोड़ी रखना ।
कहता रविकर वृद्ध, ख्याल खुद रखिये अपना॥
Wednesday, 6 August 2014
नोच नाच दे फेंक, नाच नंगा करता है-
देख रहे है वानगी, जबर एक पर एक |
दिखा रहे हैवानगी, नोच नाच दे फेंक |
नोच नाच दे फेंक, नाच नंगा करता है |
जब तब लेता छेंक, समय पानी भरता है |
कह रविकर कविराय, मनुज चुपचाप सहे हैं |
रोज लगाता चाप, दरिन्दा देख रहे हैं ||
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