ड्राफ्ट
दोहा
दुर्बल शाखा वृक्ष की, पर "गुरु-पर" पर नाज |
कभी नहीं नीचे गिरे, उड़े खूब परवाज ||
कुछ तो गुरु में ख़ास है, ईर्ष्या करते आम |
वृक्ष देख फलदार वे, लेते पत्थर थाम ||
शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट |
शिल्प देखते ही बने, हर रचना सारिष्ट ||
शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट |
शिल्प देखते ही बने, हर रचना सारिष्ट ||
यूँ ही गुरुवर रचें , हितकारी साहित्य |
प्राणि-जगत को दे जगा, करे श्रेष्ठतम कृत्य |
कुण्डलियाँ
अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
पल-पल पीपल प्राण-वायु नहिं देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।
करे खटीमा में सदा, पुण्य-धार्मिक कार्य |
साहित्यिक परिवार यह, करे सकल उपचार | करे सकल उपचार, भौतिकी दैहिक दैविक | रहे अनुग्रह नित्य, एक है सबका मालिक | रहे सुखी-सम्पन्न, बाँध ना पाती सीमा | रहे कर्मरत आप, याद नित करे खटीमा || |
क्रमशः