24 अप्रैल से 5 मई तक ब्लॉग-जगत से दूर
अवकाश पर
हर मछली को लील रहा
shashi purwar
नष्ट पुरुष से हो चुका, नारिजगत का मोह |
नारिजगत का मोह, गोह सम नरपशु गोहन ।
बनके गौं के यार, गोरि-गति गोही दोहन ।
नरदारा नरभूमि, नराधम हरकत छिछली ।
फेंके फ़न्दे-फाँस , फँसाये फुदकी मछली । ।
गोहन = साथी-संगी
गौं के यार=अपना अर्थ साधने वाला
गोही = गुप्त
नरदारा=नपुंसक
नरभूमि=भारतवर्ष
फुदकी=छोटी चिड़िया
कमतर कमकस कमिश्नर, नर-नीरज पर दाग -
कमतर कमकस कमिश्नर, नर-नीरज पर दाग ।
कफ़नखसोटी में लगा, लगा रहा फिर आग ।
लगा रहा फिर आग, कमीना बना कमेला ।
संभले नहीं कमान, लाज से करता खेला ।
गृहमंत्रालय ढीठ, राज्य की हालत बदतर ।
करे आंकड़े पेश, बके दिल्ली को कमतर ॥
कमकस=कामचोर
कमेला = कत्लगाह (पशुओं का )
भड़की भारी भीड़ फिर, कब तक सहे अधर्म ।
घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म ।
प्रतिदिन का दुष्कर्म, पेट गुडिया का फाड़े ।
दहले दिल्ली देश, दरिंदा दुष्ट दहाड़े ।
नहीं सुरक्षित दीख, देश की दिल्ली लड़की ।
माँ बेटी असहाय, पुन: चिंगारी भड़की ॥
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छद्म वेश धर दुष्टता, पाए क्योंकर ठौर ।
बोझिल है वातावरण , जहर बुझा नव-दौर ।
जहर बुझा नव-दौर, गौर से दुष्ट परखिये ।
भरे पड़े हैवान, सुरक्षित बच्चे रखिये ।
दादा दादी चेत, पुन: ले जिम्मा रविकर ।
विश्वासी आश्वस्त, लूटते छद्म वेश धर ॥
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धाता कामी कापुरुष, रौंदे बेबस नार ।
बरबस बस पर चढ़ हवस, करे जुल्म-संहार । करे जुल्म-संहार, नहीं मिल रही सुरक्षा । गली हाट घर द्वार, सुरक्षित कितनी कक्षा । करो हिफाजत स्वयं, कुअवसर असमय आता । हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता ॥ |
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला-
दाग लगाए दुष्टता, पर दिल्ली दिलदार ।
शील-भंग दुष्कर्म पर, चुप शीला-सरकार । चुप शीला-सरकार, मिनिस्टर सन्न सुशीला ।
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला ।
नीति-नियम कानून, व्यवस्था से भर पाए ।
पुलिस दाग के तोप, दाग पर दाग लगाए ॥
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टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार -
दिल्ली में पर्यटन का, करना है विस्तार ।
टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार ।
लिख दिल्ली दिलदार, छुपा इतिहास अनोखा ।
किन्तु रहो हुशियार, यहाँ पग पग पर धोखा ।
लूट क़त्ल दुष्कर्म, ठोकते मुजरिम किल्ली ।
रख ताबूत तयार, रिझाए दुनिया दिल्ली ॥