Monday, 22 April 2013

छली जा रहीं नारियां, गली-गली में द्रोह-

24 अप्रैल से 5 मई तक ब्लॉग-जगत से दूर  
 अवकाश पर 
 sapne
छली जा रहीं नारियां, गली-गली में द्रोह ।
नष्ट पुरुष से हो चुका, नारिजगत का मोह |
नारिजगत का मोह, गोह सम नरपशु गोहन ।
बनके गौं के यार, गोरि-गति गोही दोहन ।
नरदारा नरभूमि, नराधम हरकत छिछली । 
फेंके फ़न्दे-फाँस , फँसाये फुदकी मछली । ।  
गोहन = साथी-संगी 
गौं के यार=अपना अर्थ साधने वाला
गोही = गुप्त  
नरदारा=नपुंसक 
नरभूमि=भारतवर्ष 
फुदकी=छोटी चिड़िया

कमतर कमकस कमिश्नर, नर-नीरज पर दाग -

कमतर कमकस कमिश्नर, नर-नीरज पर दाग । 
कफ़नखसोटी में लगा, लगा रहा फिर आग । 
लगा रहा फिर आग, कमीना बना कमेला । 
संभले नहीं कमान, लाज से करता खेला । 
गृहमंत्रालय ढीठ, राज्य की हालत बदतर । 
करे आंकड़े पेश, बके दिल्ली को कमतर ॥ 
कमकस=कामचोर 
कमेला = कत्लगाह (पशुओं का )
 भड़की भारी भीड़ फिर, कब तक सहे अधर्म । 
घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म । 

प्रतिदिन का दुष्कर्म, पेट गुडिया का फाड़े । 
दहले दिल्ली देश, दरिंदा दुष्ट दहाड़े । 
नहीं सुरक्षित दीख, देश की दिल्ली लड़की । 
माँ बेटी असहाय, पुन: चिंगारी भड़की ॥ 

छद्म वेश धर दुष्टता, पाए क्योंकर ठौर । 
 बोझिल है वातावरण , जहर बुझा नव-दौर । 
 
जहर बुझा नव-दौर, गौर से दुष्ट परखिये । 
भरे पड़े हैवान, सुरक्षित बच्चे रखिये । 
दादा दादी चेत, पुन: ले जिम्मा रविकर ।  
 विश्वासी आश्वस्त, लूटते छद्म वेश धर ॥ 
धाता कामी कापुरुष, रौंदे बेबस नार । 
बरबस बस पर चढ़ हवस, करे जुल्म-संहार । 

करे जुल्म-संहार, नहीं मिल रही सुरक्षा । 
गली हाट घर द्वार, सुरक्षित कितनी कक्षा ।  
 
करो हिफाजत स्वयं,  कुअवसर असमय आता । 
हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता ॥ 

दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला-

दाग लगाए दुष्टता,  पर दिल्ली दिलदार ।
 शील-भंग दुष्कर्म पर,  चुप शीला-सरकार
। 

चुप शीला-सरकार, मिनिस्टर सन्न सुशीला । 
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला । 

नीति-नियम कानून, व्यवस्था से भर पाए । 
पुलिस दाग के तोप, दाग पर दाग लगाए ॥ 

टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार -

दिल्ली में पर्यटन का, करना है विस्तार । 

टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार । 


लिख दिल्ली दिलदार, छुपा इतिहास अनोखा । 

किन्तु रहो हुशियार, यहाँ पग पग पर धोखा । 


लूट क़त्ल दुष्कर्म, ठोकते मुजरिम किल्ली । 

रख ताबूत तयार, रिझाए दुनिया दिल्ली ॥

Sunday, 21 April 2013

घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म -


 भड़की भारी भीड़ फिर, कब तक सहे अधर्म । 
घायल करता मर्म को, प्रतिदिन का दुष्कर्म ।
प्रतिदिन का दुष्कर्म, पेट गुडिया का फाड़े । 
दहले दिल्ली देश, दरिंदा दुष्ट दहाड़े । 
नहीं सुरक्षित दीख, देश की दिल्ली लड़की । 
माँ बेटी असहाय, पुन: चिंगारी भड़की ॥ 

छद्म वेश धर दुष्टता, पाए क्योंकर ठौर । 
 बोझिल है वातावरण , जहर बुझा नव-दौर । 
जहर बुझा नव-दौर, गौर से दुष्ट परखिये । 
भरे पड़े हैवान, सुरक्षित बच्चे रखिये । 
दादा दादी चेत, पुन: ले जिम्मा रविकर ।  
 विश्वासी आश्वस्त, लूटते छद्म वेश धर ॥ 
धाता कामी कापुरुष, रौंदे बेबस नार । 
बरबस बस पर चढ़ हवस, करे जुल्म-संहार । 

करे जुल्म-संहार, नहीं मिल रही सुरक्षा । 
गली हाट घर द्वार, सुरक्षित कितनी कक्षा ।  
 
करो हिफाजत स्वयं,  कुअवसर असमय आता । 
हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता ॥ 

दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला-

दाग लगाए दुष्टता,  पर दिल्ली दिलदार ।
 शील-भंग दुष्कर्म पर,  चुप शीला-सरकार
। 

चुप शीला-सरकार, मिनिस्टर सन्न सुशीला । 
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला । 

नीति-नियम कानून, व्यवस्था से भर पाए । 
पुलिस दाग के तोप, दाग पर दाग लगाए ॥ 

टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार -

दिल्ली में पर्यटन का, करना है विस्तार । 

टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार । 


लिख दिल्ली दिलदार, छुपा इतिहास अनोखा । 

किन्तु रहो हुशियार, यहाँ पग पग पर धोखा । 


लूट क़त्ल दुष्कर्म, ठोकते मुजरिम किल्ली । 

रख ताबूत तयार, रिझाए दुनिया दिल्ली ॥ 

Saturday, 20 April 2013

शील-भंग दुष्कर्म पर, चुप शीला-सरकार-



दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला-

My ImageAuthor dr. ayaz ahmad


दाग लगाए दुष्टता,  पर दिल्ली दिलदार ।
 शील-भंग दुष्कर्म पर,  चुप शीला-सरकार
। 

चुप शीला-सरकार, मिनिस्टर सन्न सुशीला । 
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला । 

नीति-नियम कानून, व्यवस्था से भर पाए । 
पुलिस दाग के तोप, दाग पर दाग लगाए ॥





Virendra Kumar Sharma 

हुक्का नियमित गुड़गुड़ा, हुकुर-पुकर कर साँस |
नित बीडी सिगरेट सा, मौत बुलाये पास |
 
मौत बुलाये पास, रास क्योंकर आता है |
बढ़ जाता क्या रोब, तरस रविकर खाता है |
 
हुक्का-पानी बंद, जोर का मारो मुक्का |
कर तम्बाकू  दूर,  दूर कर बीड़ी हुक्का || 



जीते यहाँ कुरूप, हारता हेलो हैंडसम

Saudi Arabia Reportedly Deports Men for Being ‘Too Handsome’ 

हेलो हैंडसम अरब में, मत करना घुसपैठ |
पुलिस खदेड़ेगी तुम्हें, कान तुम्हारें ऐंठ |

कान तुम्हारें ऐंठ, फिकर उनको है भारी |
कहीं फिसल ना जाय, वहाँ की सारी नारी |

पर रविकर खुशहाल, वहाँ रह सकता बम बम |
जीते यहाँ कुरूप, हारता हेलो हैंडसम ||


Thursday, 18 April 2013

नाची क्यूँ बिंदी लगा, मुजरा घुंघरू साज-




टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार -

दिल्ली में पर्यटन का, करना है विस्तार । 
टैग लगी लाइन मिली, लिख दिल्ली दिलदार । 

लिख दिल्ली दिलदार, छुपा इतिहास अनोखा । 
किन्तु रहो हुशियार, यहाँ पग पग पर धोखा । 

लूट क़त्ल दुष्कर्म, ठोकते मुजरिम किल्ली । 
रख ताबूत तयार, रिझाए दुनिया दिल्ली ॥


हॉलीवुड की नर्तकी, आय हिन्दु को लाज-


Selena Gomez performs Come and Get It at the 2013 MTV Movie Awards in Culver City, Calif., April 14, 2013. (DANNY MOLOSHOK/REUTERS)

नाची क्यूँ बिंदी लगा, मुजरा घुंघरू साज । 
हॉलीवुड की नर्तकी, आय हिन्दु को लाज ।  

आय हिन्दु को लाज, नकलची हमसे बढ़कर । 
सेलेना धिक्कार,  कहे धर्मांध बिगड़कर । 

सकते हमी उडाय, धज्जियां साँची-साँची । 
तुम होती हो कौन, लगा के बिंदी नाची ॥ 

Wednesday, 17 April 2013

धमाचौकड़ी धमाके, माँ के बाँके लाल-

ब्लास्ट का पोलिटिकल दुःख


Bamulahija dot Com 


ठोको कील शकील के, बके बयान कमाल-

धमाचौकड़ी धमाके, माँ के बाँके लाल । 
ठोको कील शकील के, बके बयान कमाल । 

बके बयान कमाल, माल से वोट कमाओ । 
धरा खून से लाल, लाल पी एम् बनवाओ । 

समझौता नक्सली, दोस्त आतंकी आओ । 
मारो पब्लिक धूर्त, दुबारा चलो जिताओ ॥ 

अदावत अदा लत लताड़ : सत्य-कथा-1

मुखड़े बड़े प्रसन्न थे, उत्फुल्लित थे गात । 
नई कार का आगमन,  आखिर हुआ प्रभात । 
आखिर हुआ प्रभात, मगन-मन बच्चे चढ़ते । 
लेकिन सिर मुड़वात, तड़ातड़ ओले पड़ते । 
बच्चों की क्या बात,  मातु बच्चों की उखड़े । 
देखा लहूलुहान, लाल उन सबके मुखड़े ।

ठोको कील शकील के, बके बयान कमाल-


धमाचौकड़ी धमाके, माँ के बाँके लाल । 
ठोको कील शकील के, बके बयान कमाल । 
बके बयान कमाल, माल से वोट कमाओ । 
धरा खून से लाल, लाल पी एम् बनवाओ । 
समझौता नक्सली, दोस्त आतंकी आओ । 
मारो पब्लिक धूर्त, दुबारा चलो जिताओ ॥ 


उपेक्षित होने का दर्द कहलवा रहा है दूसरे ब्लॉगों को Bakwas

DR. ANWER JAMAL 
 Blog News   
बच्ची बच्चा बस बचा, चचा चची का जोर । 
धमाचौकड़ी ले मचा, नचा रहा मन-मोर । 

नचा रहा मन-मोर, मुबारक क्लिक किलकारी । 
लिखते ब्लॉग करोर, किन्तु कुछ ही नर नारी । 
डालें व्यापक छाप, छाप कर झूठी सच्ची । 
कर रविकर तू वोट,  जियें कुल बच्चा बच्ची ॥ 

Tuesday, 16 April 2013

कर रविकर तू वोट, जियें कुल बच्चा बच्ची -

उपेक्षित होने का दर्द कहलवा रहा है दूसरे ब्लॉगों को Bakwas

DR. ANWER JAMAL 
 Blog News   

बच्ची बच्चा बस बचा, चचा चची का जोर । 
धमाचौकड़ी ले मचा, नचा रहा मन-मोर । 

नचा रहा मन-मोर, मुबारक क्लिक किलकारी । 
लिखते ब्लॉग करोर, किन्तु कुछ ही नर नारी । 

डालें व्यापक छाप, छाप कर झूठी सच्ची । 
कर रविकर तू वोट,  जियें कुल बच्चा बच्ची ॥  


Monday, 15 April 2013

घाटे का व्यापार, करे क्या कोई मोदी ??

पूरण खण्डेलवाल
 कुण्डलियाँ 
*मोदीखाने में विजी, गुजराती खामोश ।
जला गो-धरा देखकर, गुजरा तीखा रोष । 

गुजरा तीखा रोष,  दोष फिर भी है देना । 
पानी पी पी कोस, सेक्युलर तमगा लेना । 

वोट बैंक की नीति, पूतना ले ले गोदी । 
घाटे का व्यापार, करे क्या कोई मोदी ??

मोदीखाना=गोदाम 
मोदी=दुकानदार  
  गुजरा तीखा *मोश
 मोश=लूट , ठगी
 

Sunday, 14 April 2013

नागँवार उनको लगे, जब ना लिखे गँवार-

नियमित नहिं लिक्खाड़-लिंक, लिख पाया ना सार । 
नागँवार जग-को लगे, जब ना लिखे गँवार । 

जब ना लिखे गँवार, मुश्किलें आईं हटकर । 
दुश्मन रहें प्रसन्न, सन्न सन्नाटा रविकर । 
 
बीते आपद-काल, शीघ्र हो जाय व्यवस्थित । 
त्वरित टिप्पणी छाप, ब्लॉग पर आये नियमित ॥ 

नीतीश की हरकत से मज़ा आ गया

दिवस 
 भारत स्वाभिमान दिवस

तीसमार खाँ तीर से, कर के गया गुनाह |
अल्लाता अलसेटिया, अभिनन्दित अल्लाह |

अल्लाता=चिल्लाना
अलसेटिया=व्यर्थ में अडंगा डालने वाला

Wednesday, 10 April 2013

मर्द-जात बदजात, व्यर्थ ही बदन संवारी-




NAND KISHOR GUPTA 

वारी जाऊं क्यूँ कहूँ, फेरे पुरुष निगाह । 
बन-ठन कर फेरे लगा, रहा कलेजा दाह । 

रहा कलेजा दाह, राह पर धूल फांकता । 
गुजरा पूरा साल, नया कानून सालता। 

चुकता जाए धैर्यकरे क्या कन्या क्वाँरी  । 
मर्द-जात बदजात, व्यर्थ ही बदन संवारी


मुदित-मुदिर मुद्रा मटक, मुद्रा मुफ्त कमाय -

मुदित-मुदिर मुद्रा मटक, मुद्रा मुफ्त कमाय । 
जिला रही नश्वर बदन, जिला-जवाँर घुमाय । 
यमक अलंकार मुद्रा / जिला 
जिला-जवाँर घुमाय, जवानी के जलवे हैं । 
रूपाजीवा हाय, हुवे दंगे बलवे हैं । 

मरे हजारों लोग, लांछना लेकिन अनुचित । 
रविकर मरता जाय, मगन मन झांके प्रमुदित । । 
मुदिर=कामुक 
रूपाजीवा = वेश्या


रहा खुदा को भूल, बोलता खुद की जै जै-

कासी काबा कोसती, काया कोसों दूर । 
सुरसाई सुमिरै नहीं, सोहै सुरा सुरूर ।  

सोहै सुरा सुरूर, इसी में जीवन खोजै । 
रहा खुदा को भूल, बोलता खुद की जै जै । 

खाना पीना मौज, स्वार्थी अति कटु-भाषी । 
भोगे कष्ट-अपार,  प्राण की कठिन निकासी । 

Friday, 5 April 2013

नर नरेन्द्र निर्दोष, बताये बैलट-जूरी-

गुजरात का कर्ज़ उतार दिया है अब देश का उतारूँगा.....
.
.इसके लिए किसका कत्ले-आम होगा????
रविकर की टिप्पणी 

मूरी गाजर से कटे, बटे घटे भूखंड |
हमलावर देते जला, सहे "गो धरा" दंड |

सहे "गो धरा" दंड, सिक्ख सैनिक बन जाते |
मचता कत्ले आम, जिन्हें "चौरासी" खाते |

नर नरेन्द्र निर्दोष, बताये बैलट-जूरी |
   पब्लिक का प्रतिकार, जंग रूकती तैमूरी ||

Thursday, 4 April 2013

आये बाज बजाज नहिं , राहुल की इस्पीच

आये बाज बजाज नहिं , राहुल की इस्पीच । 
बॉडी लैंग्वेज भा गई, भूले बाकी चीज । 

भूले बाकी चीज, भाजपा को ना भाये । 
मोदी पर बेवजह, बहुत राहुल झल्लाये । 

रविकर चोंच लडाय, बाज को पुन: जिताए । 
गौरैय्या का भाग्य, बाज फिर से ना आये ॥