Monday 30 December 2013

आम हुवे *आमात्य कुल, ख़ास काढ़ते खीस-


अच्छा-खासा वर्ष यह, गत वर्षों से बीस |
आम हुवे *आमात्य कुल, ख़ास काढ़ते खीस |
*मंत्री  

ख़ास काढ़ते खीस, देख ईश्वर की सत्ता |
बिन उनके आशीष, हिले ना जग में पत्ता |

हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||

Thursday 19 December 2013

टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप -

(20 से 30 दिसम्बर प्रवास पर-फ़ैजाबाद में )

कृपया SMS से जवाब दें

ZEAL 
 दिल्ही दिल में दुलहनी, हनी-मून से रुष्ट |
एक पाख बीता मगर, हैं सम्बन्ध अपुष्ट |

हैं सम्बन्ध अपुष्ट, पड़ोसी पत्र पठाये |
हुवे आप संतुष्ट, किन्तु अब तक तड़पाये |

आप लिख रहे पत्र, उलझती डेल्ही बिल में |
तड़पे सत्ता नारि, कोसती दिल्ही दिल में || 

तीस फीसदी वोट पा, करे आप व्यभिचार -

रायशुमारी फिर करें, दे सन्देश नकार |
तीस फीसदी वोट पा, करे आप व्यभिचार |

करे आप व्यभिचार, तवज्जो पुन: सभा को |
आप बड़े बेचैन, जरा अंतर्मन झांको |

फिक्स किया है गेम, किन्तु नौटंकी जारी |
बना नहीं सरकार, बताती रायशुमारी || 


सा'रे गा'मा पा'दते, धा'नी हिलती देख |


रे'गा सा'मा'धा'न सब, ना पा'रे संरेख ||


रविकर पेट मरोड़, तोड़ते अनशन अन्ना-

अन्ना बोले, खुश हुआ, भन्ना जाते आप |
चौकन्ना हो भ्रष्ट-कुल, बके अनाप-शनाप |

बके अनाप-शनाप, मुलायम मन को खटके |
लटके खटके झेल, कई दशकों से लटके |

हाथी देता छोड़, चूसना मीठा गन्ना |
रविकर पेट मरोड़, तोड़ते अनशन अन्ना ||

कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत-

माने इसके गूढ़ हैं, इसी बहाने मौत |
कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत |

मौत रही नित न्यौत, बनी है निर्णय-कर्ता |
करता कोई और, यहाँ कोई है भरता |

बाढ़ी शक्ति असीम, लगी दुनिया बहकाने |
संवेदना असीम, मीडिया अब तो माने ||

डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी-

टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप |
लगे अवांछित आम जन, अपना रस्ता नाप | 

अपना रस्ता नाप, शाप है धरती माँ का |
बको अनाप-शनाप, भिड़ेगा तब ही टाँका |

चतुर करेगा राज, होय चाहे आरोपी |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी ||

दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय-


आशा अपने राम को, नारायण आशीष । 
खड़ा बड़ा साम्राज्य हो, दर्शन की हो फीस । 
जोड़े रकम अकूत । 
नाम करेगा पूत ।। १॥ 

राहु-केतु लेते चढ़ा, खींच खींच आस्तीन । 
दोष दूसरे पर मढ़े, दंगाई तल्लीन ।  
जीते पर यमदूत । 
नाम करेगा पूत ॥ २॥ 

Tuesday 17 December 2013

अन्ना अनशन त्याग, लड़ाई बड़ी बची है-

पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना -

काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |

प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |

सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |

कार्टून :- रे लोकपाल आ गया तू ? शाबाश.


धूम मची है पाल की, चले पालकी साज |
नहीं बाल के खाल की, मत होना नाराज |

मत होना नाराज, राज से तेज लोक है |
पाल पाल ले पाल, सभी ने दिया ठोक है |

अन्ना अनशन त्याग, लड़ाई बड़ी बची है |
आप जलाये आग, वहाँ तो धूम मची है || 


 जमा विधायक आप के, खेल शर्तिया कार्ड |
पूँछे हगना-मूतना, जाय जाय हर वार्ड |

जाय जाय हर वार्ड, सतत नौटंकी चालू |
कहीं जाय ना रपट, सड़क सत्ता की ढालू |

पचा पाय ना जीत, बिगड़ता जाय हाजमा |
वोट बैंक की नीति, लगाए फिर-फिर मजमा ||


दायें बायें जाय के, कैसे काटूं कान |
कूट कूट कर जो भरा, काया में ईमान |

काया में ईमान, बिठाया लोकपाल भी |
बहुत बजाया गाल, दिया है साथ ताल भी |

ताल-मेल का ताल, डुबकियां आप लगाएं | 
*कूटकर्म से मार, मछलियां दायें-बायें ||  

 काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |

प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |

सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |

टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप |
लगे अवांछित आम जन, अपना रस्ता नाप | 

अपना रस्ता नाप, शाप है धरती माँ का |
बको अनाप-शनाप, भिड़ेगा तब ही टाँका |

चतुर करेगा राज, होय चाहे आरोपी |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी ||  




Monday 16 December 2013

काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन -


ताल-मेल का ताल, डुबकियां "आप" लगाएं

दायें बायें जाय के, कैसे काटूं कान |
कूट कूट कर जो भरा, काया में ईमान |

काया में ईमान, बिठाया लोकपाल भी |
बहुत बजाया गाल, दिया है साथ ताल भी |

ताल-मेल का ताल, डुबकियां आप लगाएं | 
*कूटकर्म से मार, मछलियां दायें-बायें || 

पूँछे हगना-मूतना, जाय जाय हर वार्ड-


 जमा विधायक आप के, खेल शर्तिया कार्ड |
पूँछे हगना-मूतना, जाय जाय हर वार्ड |

जाय जाय हर वार्ड, सतत नौटंकी चालू |
कहीं जाय ना रपट, सड़क सत्ता की ढालू |

पचा पाय ना जीत, बिगड़ता जाय हाजमा |
वोट बैंक की नीति, लगाए फिर-फिर मजमा ||

दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय-


कुंडलियां 
(1)

लेना-देना भूलता, कुछ व्यवहारिक ज्ञान |
कूट कूट लेकिन भरा, बेटे में ईमान |

बेटे में ईमान, खड़ा दुविधा का रावण |
टाले कुल शुभकर्म, कराये  अशुभ अकारण |

घटी तार्किक बुद्धि, जगत देता है ठेना |
किन्तु करेगा नाम, कभी ईमान खले ना ॥ 

पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना -

काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |

प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |

सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |

डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी-

टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप |
लगे अवांछित आम जन, अपना रस्ता नाप | 

अपना रस्ता नाप, शाप है धरती माँ का |
बको अनाप-शनाप, भिड़ेगा तब ही टाँका |

चतुर करेगा राज, होय चाहे आरोपी |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी || 

Sunday 15 December 2013

लोकपाल पर आ गया, बढ़िया यह संजोग -



पापा कहते हड़बड़ा, नाम करेगा पूत -



पापा कहते हड़बड़ा, नाम करेगा पूत |
गली मुहल्ला घर त्रसित, असहनीय करतूत |

असहनीय करतूत, शिकायत हर दिन आये |
तोड़-फोड़ खिलवाड़, फटे में टांग अड़ाए |

तोड़ा रेस्टोरेंट, जला के चौखट तापा |
बड़ा करेगा नाम, बोल बैठे तब पापा ||

AAP asks clarification on 17 Points from BJP Congress seeks 10 days to decide on Gov. Formation

SM

From Politics To Fashion 


प्रोपेगंडा कर रहे, शर्त अनाप-शनाप |
वोट-बैंक में वृद्धि हित, लगे रात-दिन आप |

लगे रात दिन आप, पिछड़ती जाए दिल्ली |
देखो छींका टूट , भाग्यशाली यह बिल्ली |

इक इमान की बात, बनाया बढ़िया फण्डा |
नहीं करेंगे काम, करेंगे प्रोपेगंडा ||  


दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय-


आशा अपने राम को, नारायण आशीष । 
खड़ा बड़ा साम्राज्य हो, दर्शन की हो फीस । 
जोड़े रकम अकूत । 
नाम करेगा पूत ।। १॥ 

राहु-केतु लेते चढ़ा, खींच खींच आस्तीन । 
दोष दूसरे पर मढ़े, दंगाई तल्लीन ।  
जीते पर यमदूत । 
नाम करेगा पूत ॥ २॥ 

छींका टूटा भाग्य से, बिल्ली गई अघाय । 
दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय । 
दिखे आप मजबूत। 
नाम करेगा पूत ॥ ३॥ 

अनशन पर आये नहीं, यद्दपि ज्यादा लोग । 
लोकपाल पर आ गया, बढ़िया यह संजोग । 
रविकर कर करतूत । 
नाम करेगा पूत ॥ ४ ॥ 




मत'वाले ये चार, फतह दिल्ली कर लेते -

गोटी कर दे लाल जो, झाड़ू दिया बुहार |
हार गले में डालके, मत'वाले ये चार |

मत'वाले ये चार, फतह दिल्ली कर लेते |
खा के मीठे आम, गुठलियां पकड़ा देते |

इत रोटी भी नाँय, उधर रोटी पर बोटी |
उत डीलक्स उड़ान, भूत की इधर लँगोटी ||

Saturday 14 December 2013

लेकिन कई कुलीन, उड़ाते इनकी खिल्ली-


"विविध दोहावली-पच्चीस दोहे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


पच्चीसा सुन्दर रचा, शामिल बढ़िया कथ्य |
शिल्प सुगढ़ है दीखता, हैं सटीक सब तथ्य ||

AAP asks clarification on 17 Points from BJP Congress seeks 10 days to decide on Gov. Formation

SM

From Politics To Fashion 


प्रोपेगंडा कर रहे, शर्त अनाप-शनाप |
वोट-बैंक में वृद्धि हित, लगे रात-दिन आप |

लगे रात दिन आप, पिछड़ती जाए दिल्ली |
देखो छींका टूट , भाग्यशाली यह बिल्ली |

इक इमान की बात, बनाया बढ़िया फण्डा |
नहीं करेंगे काम, करेंगे प्रोपेगंडा || 

*सत्तारी बैठे रहे, तब सत्ताइस आम |
जुड़े केजरीवाल से, पाने लगे सलाम |
*फुर्सत में 

पाने लगे सलाम, काम दे देती दिल्ली |
लेकिन कई कुलीन, उड़ाते इनकी खिल्ली |

रविकर करे सचेत, छेड़ मत मधु का छत्ता |  
आये इनके हाथ, आज-कल में ही सत्ता ||



कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ में, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |

नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट  ^ कूलेंट 

गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||


Thursday 12 December 2013

किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले-






आधा सच...   
महेन्द्र श्रीवास्तव 

खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
दिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |

पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |

पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||



नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ । 
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ । 

दुविधा रही बिगाड़,  तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी । 
आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी । 

पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा । 
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥ 


कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ में, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |

नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट  ^ कूलेंट 

गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||


द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि-


क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....







केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |

गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |

सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
गेगले=*मूर्ख 
गेंदुल=चमगादड़ 
गेंगटे=केकड़े 

समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं

Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |
कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय |

कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा |
पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा |

पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर |
गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||

क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब

सुशील कुमार जोशी 

ठुमरी पर ठुमके लगा, ख्याली पके पुलाव |
राम राज्य आने लगा, बस इक और चुनाव |

बस इक और चुनाव, मुसल्लसल बस इमान है |
बे-इमान यह जगत, आप की बढ़ी शान है |

पानी बिजली मुफ्त, मुफ्त में कुरता चुनरी |
मुफ्त मिले आवास, मुफ्त में सुनिये ठुमरी |||


"आप" के पाप

ZEAL 
यह तो पक्की बात है, ले मुस्लिम का साथ । 
खा जाएगा हाथ को, फिर पकडे वह पाथ । 

फिर पकडे वह पाथ, रास्ता वह कम्युनिस्टी । 
मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दु  प्रति टेढ़ी दृष्टी । 

खतरनाक यह व्यक्ति, हमें तो लगता बक्की । 
बना ढपोरी-शंख, बात है यह तो पक्की ॥