(1)
लोकपाल का कच्चा जाल,
कचरा-बकरा होय हलाल |
मगरमच्छ तो काटे जाल,
लेकर बैठा बढ़िया ढाल |
व्यर्थ बजावत अन्ना गाल,
करता-रहता सदा बवाल |
काट रहे जो जमके माल,
उनपर करता खड़े सवाल |
सौ करोड़ पब्लिक दे टाल,
ठोक रहा फिर काहे ताल |
(2)
संघ से जोड़े बैठा तार,
लेकर छूरी दंड कटार |
कचरा-बकरा होय हलाल |
मगरमच्छ तो काटे जाल,
लेकर बैठा बढ़िया ढाल |
व्यर्थ बजावत अन्ना गाल,
करता-रहता सदा बवाल |
काट रहे जो जमके माल,
उनपर करता खड़े सवाल |
सौ करोड़ पब्लिक दे टाल,
ठोक रहा फिर काहे ताल |
(2)
संघ से जोड़े बैठा तार,
लेकर छूरी दंड कटार |
अन्ना के तो पैदल चार,
व्यर्थ कांपती है सरकार |
हाथी घोड़े सही सवार,
मंत्री की चौतरफा मार |
ऊंट-सिपाही सैन्य अपार,
कर अनशन का बंटाधार |
अन्ना को बाबा सा घेर,
जंतर - मंतर कर दे ढेर ||
व्यर्थ कांपती है सरकार |
हाथी घोड़े सही सवार,
मंत्री की चौतरफा मार |
ऊंट-सिपाही सैन्य अपार,
कर अनशन का बंटाधार |
अन्ना को बाबा सा घेर,
जंतर - मंतर कर दे ढेर ||