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पूरे होंगे किस तरह, कहो अधूरे ख्वाब।😂😂😂
सो जा चादर तान के, रविकर दिया जवाब।।
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क्वांरेपन से शेर है, रविकर अति खूंखार ।
किन्तु हुआ अब पालतू, दुर्गा हुई सवार।।
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कइयों की कलई खुली, उड़ा कई का रंग।
हुई धुलाई न्याय की, घूमें मस्त मलंग।।
जी भर के कर प्यार तू, कह रविकर चितलाय।
जी भर के जब वह करे, उनका जी भर जाय।।
भय
रही अनिश्चितता डरा, रविकर डर धिक्कार।
कहो इसे रोमांच तो, करे व्यक्ति स्वीकार।।
ईर्ष्या
दूजे की अच्छाइयाँ, कौन करे स्वीकार।
बना सको यदि प्रेरणा, ईर्ष्या जाये हार।।
क्रोध
चीज नियंत्रण से परे, तो रविकर रिसियाय।
करे तथ्य मंजूर यदि, वह सहिष्णु कहलाय।।