इड़ा पिंगला संग मे, मिले सुषुम्ना देह ।
बरस त्रिवेणी में रही, सुधा समाहित मेह ।
सुधा समाहित मेह, गरुण से कुम्भ छलकता ।
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रविकर शिव-सत्संग, मगन-मन सुने इंगला ।
कर नहान तप दान, मिले वर इड़ा-पिंगला।
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किडनी डी एम के गई, वेंटीलेटर पार ।
इन्ज्वायिंग मेजोरिटी, बोल गई सरकार ।
बोल गई सरकार, बहुत आनंद मनाया ।
त्राहि त्राहि इंसान, देखना भैया भाया ।
सत्ता का आनंद, हाथ की खुजली मिटनी ।
हाथी सैकिल बैठ, लूट लाएगा किडनी ।
ताऊ रामपुरिया
गुरुवर श्री अरविन्द जी, जिनका धाकड़ ब्लॉग | वीणा-वादन ब्लॉग पर, साधे ताऊ-राग |
साधे ताऊ-राग, फाग में जागे जागे | गुरु-वाइन का रंग, फिरे हैं भागे भागे |
ये ही तो सरकार, ट्रांसफर फर फर रविकर | विश्वनाथ का नगर, छोड़ के जाते गुरुवर ||
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pramod joshi
इच्छाधारी सर्प हैं, हटे दृश्य वीभत्स |
नाग नाथ को नाथ ले, साँप नाथ का वत्स |
साँप नाथ का वत्स, अघासुर पड़ा अघाया |
हुई मुलायम देह, बहुत भटकाई माया |
मनुज वेश में आय, वोट की मांगे भिक्षा |
सुगढ़ सलोनी देह, वोट देने की इच्छा ||
महेन्द्र श्रीवास्तव
पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश |
चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |
पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |
रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||
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भूली-बिसरी यादें
लाई-गुड़ देती बटा, मुँह में लगी हराम | रेवड़ियाँ कुछ पा गए, भूल गए हरिनाम |
भूल गए हरिनाम, इसी में सारा कौसल | बिन बोये लें काट, चला मत खेतों में हल |
बने निकम्मे लोग, चले हैं कोस अढ़ाई | गए कई युग बीत, हुई पर कहाँ भलाई ??
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tarun_kt
यारा हत्यारा चुनो, बड़े लुटेरे दुष्ट | टेरे माया को सदा, करें बैंक संपुष्ट |
करें बैंक संपुष्ट, बना देते भिखमंगा | मर मर जीना व्यर्थ, नाचता डाकू नंगा |
हत्यारा है यार, ख़याल रख रहा हमारा | वह मारे इक बार, रोज मत मरना यारा ||
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