(1)
सास-ससुर पति ननद दो, भावी दो संतान।
सास-ससुर पति ननद दो, भावी दो संतान।
स्नेह-सूत्र में बाँध ले, जो कन्या मुस्कान ।
जो कन्या मुस्कान, व्यवस्था घर की सारी ।
एक्जीक्यूटिव रैंक, सैलरी रखे हमारी ।
मन श्रद्धा-विश्वास, परस्पर सुख-दुःख बांटे ।
बने धुरी मजबूत, गृहस्थी भर फर्राटे ।।
25 अप्रैल 1988, 5'8'', 55 Kg , रंग साफ़,
B Tech -MNNIT इलाहाबाद -
B Tech -MNNIT इलाहाबाद -
TCIL, Telecommunication विभाग भारत सरकार
नई दिल्ली में E-2
आजकल - आबुधाबी में पदस्थापित
जातिबंधन-सर्व वैश्य मान
नई दिल्ली में E-2
आजकल - आबुधाबी में पदस्थापित
जातिबंधन-सर्व वैश्य मान
छोटी बहने:अविवाहित
1) मनु NIT दुर्गापुर से B Tech
TCS लखनऊ में कार्यरत
2) स्वस्ति-मेधा BIET झाँसी में
Chemical Engg, B Tech 3rd Year
पिता
दिनेश चन्द्र गुप्ता "रविकर"
STA , Department of Electronics
ISM, Dhanbad / लोग इसे IIT Dhanbad के नाम से जानते हैं
माता
घर की वर्तमान प्रभारी : जिन्हें अपने बच्चों पर गर्व है ।
माँ को समर्पित कुंडली
(2)
होलीडे इकदम नहीं, भर जीवन संघर्ष ।
यदा-कदा सिक लीव है, कठिन वर्ष दर वर्ष ।
कठिन वर्ष दर वर्ष , हर्ष के पल खुब पायी।
नहीं कहीं प्रतिबन्ध, स्वयं से मन बहलायी।
कोटि-कोटि आभार, मिली जो प्यारी माता ।
घर भर की आधार, हमारी भाग्य-बिधाता ।।
नोट:
(3)
नारी वादी सोच से, नहीं कहीं तकरार ।
नारी वादी सोच से, नहीं कहीं तकरार ।
किन्तु प्राथमिकता मिले, दोनों कुल परिवार ।
दोनों कुल परिवार, रखे अक्षुण मर्यादा ।
हो अपनों से प्यार, स्वयं से पक्का वादा ।
कर खुद का उत्थान, देश हित रख कर आगे ।
ईश्वर पर विश्वास, सरलतम जीवन मांगे ।
दोनों कुल परिवार, रखे अक्षुण मर्यादा ।
हो अपनों से प्यार, स्वयं से पक्का वादा ।
कर खुद का उत्थान, देश हित रख कर आगे ।
ईश्वर पर विश्वास, सरलतम जीवन मांगे ।
(4)
दुनिया जाये भाड़ में, ऐसे जीव निषिद्ध ।
ऐसे जीव निषिद्ध, वृद्धि सीमित अपने तक ।
ऋद्धि-सिद्धि गृह भूल, माँगते है अपना हक़ ।
दें कर्तव्य विसार, दिखाए पल पल छल-बल |
उन्हें ठगे यह विश्व, देह इक माने केवल ||
(5)
जीवन भर पढता रहा, बना एक ही ध्येय ।
इक अच्छा इंसान बन, पूजू सब श्रद्धेय ।
पूंजू सब श्रद्धेय, धर्म संस्कृति की पूजा ।
ढूंढ़ रहा हमसफ़र, चक्र गाड़ी का दूजा ।
सदाचार आचरण, सदा सम्मानित नारी ।
करूँ जिन्दगी वरण, बनूँ पक्का व्यवहारी ।।