धीरे धीरे सावन आये। समय हमेशा अधिक लगाये ।
व्याकुल जीवन तपती धरती । नाजुक विटप लताएँ मरती ।।
कुदरत अब सिंगार करे है । मस्तक पर नव मुकुट धरे है ।
नव पल्लव संबल पाते हैं । लिपट चिपट कर चढ़ जाते हैं ।।
हरियाली सब का मन मोहे । रविकर दिनभर भटके-टोहे ।
मेघ गर्जना बिजली दमकी । कविवर क्यूँ आँखें न चमकी ??
देवता मिल गया....
Dr (Miss) Sharad Singh at Sharad Singh -
मिलता मंदिर में मुझे, मन-मंदिर मनमीत |
ध्यान आरती में कहाँ, मैं तो गाऊं गीत |
मैं तो गाऊं गीत, सजन को जरा बुला लो |
कर दे नेह विदेह, सँभालो देखो-भालो।
पूरे सोलह सोम, शिवा का आसन हिलता |
हुई हुलसती होम, मीत मन-मंदिर मिलता ||
ध्यान आरती में कहाँ, मैं तो गाऊं गीत |
मैं तो गाऊं गीत, सजन को जरा बुला लो |
कर दे नेह विदेह, सँभालो देखो-भालो।
पूरे सोलह सोम, शिवा का आसन हिलता |
हुई हुलसती होम, मीत मन-मंदिर मिलता ||
ये बेरुखी कब तक होगी.
आमिर दुबई
मोहब्बत नामा
मोहब्बत नामा
छोड़कर चलते बने तुम, किस ठिकाने पर टिकोगी |
गम बेंचता आऊं उधर ही, दे गए जो मुझे मन भर |
दाल रोटी लूँ कमा मैं , याद में तेरी मरुँ न --
पाव भर बेचूं तुझे भी, चख के करना याद रविकर ||
गम बेंचता आऊं उधर ही, दे गए जो मुझे मन भर |
दाल रोटी लूँ कमा मैं , याद में तेरी मरुँ न --
पाव भर बेचूं तुझे भी, चख के करना याद रविकर ||
खुद का खुद से नाता तोड़ता !!!
सदा
SADA
SADA
टूट-फूट को जोड़ते, लगा गाँठ पर गाँठ ।
रहा अनवरत कर्मरत, पहर आठ के आठ |
पहर आठ के आठ, पाठ धीरज का पढ़ के ।
नेह बांध के साथ, निभाये वह बढ़-चढ़ के ।
सबसे आगे दौड़, छोड़ता पीछे सबको ।
खुद से नाता तोड़, याद कर जाए रब को ।।
सपनों का सौदागर
मन-भावन सपने सजे, मजे दार हैं मित्र ।
वैसे तो अनमोल हैं, लेकिन बात विचित्र ।
लेकिन बात विचित्र, मुफ्त बांटे सौदागर ।
तरह तरह के भेद, छाँट लो बढ़िया सादर ।
दिवास्वप्न हैं व्यर्थ, बिछाओ प्रेम-विछावन ।
ले लो गहरी नींद, देख सपने मनभावन ।।
बहुत बढिया ..
ReplyDeleteसमग्र गत्यात्मक ज्योतिष
बहुत बढिया प्रस्तुति!
ReplyDeletesundar links se saji sundar prastuti..
ReplyDeleteमस्त हैं !
ReplyDeleteलाजवाब लिखते हैं जनाब रविकर !!
Deleteटूट-फूट को जोड़ते, लगा गाँठ पर गाँठ ।
रहा अनवरत कर्मरत, पहर आठ के आठ |
दिल दिख रहा है आज
दिनेश की दिल्लगी में
वो भी दो पीस में
टूट फूट है जोड़ है
फेविकोल है और है गाँठ !!
शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।
ReplyDeleteमनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।
शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।
ReplyDeleteमनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।
बड़े फलक की बेहतरीन प्रस्तुति .
sundar prastuti .समझें हम
ReplyDeleteसुन्दर छन्दों से रहे, रविकर जी टिपियाय।
ReplyDeleteपाकर मोहक कुण्डली, पोस्ट धन्य हो जाय।।
दिनेश जी की दिल्लगी हर किसी को भाय ,
ReplyDeleteपढने को पाठक यहाँ दौड़ा आता जाये.
दिल्लगी तो नाम है बस दिल को छु जाएगी ,
इनकी बातें आपके के भी दिल को भा जाएगी.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
लाजवाब संकलन है, दिनेश जी आपका।
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