महेन्द्र श्रीवास्तव
बेबाकी से रख दिया, बाकी भी बेकार |
देख शिकारे कर रहे, कैसे हमें शिकार | कैसे हमें शिकार, रेट सबके मनमाने | बड़ा कमीशन जाल, सेब कश्मीरी खाने | सड़े-गले एहलाक, नरक देवा रे देवा | होमगार्ड सरकार, यहाँ पर बिलकुल बेवा || |
मुंडे नें ऐसा क्या कह दिया जिसका पता चुनाव आयोग को नहीं था !!
पूरण खण्डेलवाल
किया किन्तु क्यों कह दिया, मुंडे क्या औकात ।
गुंडे से ही हम दरें, खाएं उनकी लात ॥
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विरक्ति
रचना दीक्षित
गन्ने की खेती बढे, हरदिन बढे मिठास ।
फसल निरोगी स्वस्थ हो, नसल असल विश्वास ॥
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"कैसे साथ चलोगे मेरे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
कस-मीरी के घर हुआ, पैदा पूत कमाल | पैदा पूत कमाल, लाल गायब था नौ दिन | थी आफत विकराल, चले राहत ना तुझ बिन | हे मेरे युवराज, अगर कल राजा होगे | खोज खबर किस तरह, रोम से आकर लोगे || "चापलूस बैंगन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')जो बैंगन सा बन रहा, गली उसी की दाल || |
सेहत आत्मा की
Virendra Kumar Sharma
काया खाए पिए नित, टाइट होती पैन्ट |
माया मोटी बुद्धि की, सच है सौ परसेन्ट | सच है सौ परसेन्ट, डेंट कर पेंट कराओ | लेकिन थुल थुल देह, करोगे क्या बतलाओ | परकाया है स्वाद, मजा जिभ्या को आया | सरकाया अब तलक, लेट जायेगी काया || |
man ka manthan. मन का मंथन।
पत्थर वो सह ना सके, सचमुच नाजुक देह | सहना तो तुमको पड़े, करते हो क्यूँ नेह-
कुलदीप ठाकुर
चेतन चेतावनी प्रति, होते नहिं गंभीर |
दिखे *चेतिका चतुर्दिश, जड़ हो जाय शरीर || *श्मशान |
रावण के ४ हवाईअड्डे मिले | 4 Airports of King Ravana Discovered : 7323BC
प्राचीन समृद्ध भारत
लोल कपोल कहें खुब कल्पित आज चमाट लगा फिर भारी |
खोल रहा इतिहासिक भेद सदैव पुरातन तथ्य उघारी |
रावण एक हकीकत पुष्पक लंकक द्वार दिखे उत चारी |
सेतु रमेसर में प्रभु का खर-दूषण मारि थपे त्रिपुरारी ||
मन के विकार
Rajesh Kumari
सृजन मंच ऑनलाइन
हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात | पछताये कुछ ना मिले, गर समझे ना बात || |