Sunday, 29 June 2014

सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के-

टके टके पे टकटकी, लटके झटके देख ।
मटके मँहगाई मुई, व्याकुल पंडित शेख । 

व्याकुल पंडित शेख, आज भी भारत भूखा। 
घाटे का आलेख, स्रोत्र आमद का सूखा ।  

संभावना अपार, बढ़े आगे बेखटके । 
सत्ता करे सुधार, करे कुछ निर्णय हट के ।। 

Sunday, 8 June 2014

रोटी एक खिलाय, चिकित्सा कर दुनिया की-

दुनिया की सबसे बड़ी, बीमारी है भूख । 
दवा समझ खा रोटियां, देह अन्यथा सूख। 

देह अन्यथा सूख, नित्य परहेज जरूरी।
है संक्रामक रोग, मिटा के रविकर दूरी ।

चल चूल्हे पर सेंक, करोड़ों रोगी बाकी । 
रोटी एक खिलाय, चिकित्सा कर दुनिया की ॥ 

Saturday, 7 June 2014

जन गण में हो खौफ, देश कुछ बिगड़े ऐसे-

कैसे होव दुर्दशा, कैसे होव मौत । 
आशंका होवे सही, विभीषिका तू न्यौत । 

विभीषिका तू न्यौत, करा दे भारी दंगा । 
नहिं मोदी सरकार, नहीं इतराय तिरंगा । 

जन गण में हो खौफ, देश कुछ बिगड़े ऐसे । 
मैं हो जाऊं सत्य, नाम मेरा हो कैसे ॥ 

Thursday, 5 June 2014

वह संवेदनशील, पराये अपने जाने-

दासी सा बर्ताव भी, नहीं दिलाता ताव |
किन्तु उपेक्षा से मिलें, असहनीय से घाव |

असहनीय से घाव, उदासी झट पहचाने |
वह संवेदनशील, पराये अपने जाने |

मकु आकर्षण प्यार, लगे उसको आभासी । 
लेकिन लेती ताड़, उपेक्षा और उदासी ॥ 

Wednesday, 4 June 2014

रविकर मीठा बोल, नित्य धोखा दे जाता-

गुस्सा आता है जिन्हें, उनको सच्चा मान |
झूठे लेकर घूमते,  मुखड़े पर मुस्कान |

मुखड़े पर मुस्कान, चार सौ बीसी करते |
मुख में रहते राम, बगल में छूरी धरते |

रविकर मीठा बोल, नित्य धोखा दे जाता |
वह तो है अतिधूर्त, उसे कब गुस्सा आता -