" दुखद समाचार" रूपचन्द्र शास्त्री मयंक के पिताश्री श्रद्धेय घासीराम आर्य जी का देहावसान
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
साया बापू का उठा, *रूप-चन्द ग़मगीन ।
हैं अर्पित श्रद्धा-सुमन, आत्मा स्वर्गासीन ।
आत्मा स्वर्गासीन, शान्ति से वहाँ विराजे ।
सहे दर्द परिवार, आज पाये जो ताजे ।
कह रविकर कविराय, पिता ने सब कुछ पाया ।
सदा रहें वे साथ, मात्र यह बदन नसाया ॥
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Tuesday, 29 July 2014
साया बापू का उठा, *रूप-चन्द ग़मगीन -
Thursday, 17 July 2014
भारत दुर्दिन झेल, भाग्य का तू तो मारा-
IIT-Ghandhi-Nagar के प्रवास पर,२८ को वापसी
नारायणी दरिद्रता, अच्छे दिन की चाह ।
नारायणी दरिद्रता, अच्छे दिन की चाह ।
कंगाली कर बैठती, आटा गीला आह ।
आटा गीला आह, करम में लोढ़ा पत्थर ।
कैसे फिर नरनाह, यहाँ लाये दिन सुन्दर ।
भारत दुर्दिन झेल, भाग्य का तू तो मारा ।
पॉलिटिक्स ले खेल, लगा के रविकर नारा ॥
Sunday, 13 July 2014
बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग-
मारे मारे फिर रहे, कृषक उद्यमी लोग ।
बेमानी लगते हमें, अच्छे दिन के योग ।
अच्छे दिन के योग, चाइना मुस्काता है ।
बढ़ा रहा उद्योग, उद्यमी भरमाता है ।
सस्ता चीनी माल, बिक रहा द्वारे द्वारे ।
रविकर रहा खरीद, माल ना बिके हमारे ॥
Friday, 11 July 2014
बुरा उद्यमी व्यक्ति, भला करता जो चोरी -
कोरी लफ्फेबाजियां, फौरी करे निदान ।
यह ढफोरशंखी क्रिया, करे राह आसान ।
करे राह आसान, बैठ के गप्प मारिये ।
भली करें भगवान, पीढ़ियाँ सात तारिये ।
बुरा उद्यमी व्यक्ति, भला करता जो चोरी ।
कालिख से ही रंग, रखे क्यों चादर कोरी ।।
Tuesday, 8 July 2014
मना रहे नित जश्न, त्रस्त आधी-आबादी-
फिरे सड़क पर सिरफिरे, आँखें रहे तरेर ।
लूट रहे रमणी मणी, गली गली अंधेर ।
गली गली अंधेर, क्वाँर के ये उन्मादी ।
मना रहे नित जश्न, त्रस्त आधी-आबादी ।
करे नियंत्रित कौन, मौन मत रहना रविकर ।
कुत्तों को पहचान, जोर से मारो पत्थर ॥
Tuesday, 1 July 2014
हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे--
छुवे हौसला आसमाँ, लाया तारे तोड़ ।
जोड़-तोड़ में धूर्त-जन, शकुनि-नीति से होड़।
शकुनि नीति से होड़, दौड़ में शशक हमेशा।
रहा युगों से हार, यही दे रहा सँदेसा ।
हारे अति-विश्वास, बहाये रविकर टसुवे ।
कर उद्यम अनवरत, जीतते हरदम कछुवे ॥
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