Tuesday, 1 September 2015
रविकर मन हलकान, निठल्ला फेरे माला-
सालाना जलसे किये, खूब बढ़ाई शाख |
लेकिन पति भाये नहीँ, अब तो फूटी आँख |
अब तो
फूटी आँख,
रोज बच्चों से अम्मा
|
कहती आँख तरेर, तुम्हारा बाप निकम्मा ।
रविकर मन हलकान, निठल्ला फेरे माला |
वह तो रही सुनाय, लगा के मिर्च-मसाला ||
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