Monday, 12 October 2015
होते जीव हलाल, बैठ के देखें बन्दर
बन्दर-भालू-सर्प बिन, मरा मदारी आज |
पशु-अधिकारों पे उठी, जब से ये आवाज |
जब से ये आवाज, हुवे खुश कुत्ता बिल्ली |
अभयारण में बाघ, सुरक्षित करती दिल्ली |
किन्तु विरोधाभास, देश-दुनिया के अंदर |
होते जीव हलाल, बैठ के देखें बन्दर ||
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