कुण्डलियाँ
सोलह आना सत्य है, है अशांति चहुँओर |
छली-बली से त्रस्त हैं, साधु-सुजन कमजोर |
साधु-सुजन कमजोर, आइये होंय इकठ्ठा |
उनकी जड़ में आज, डाल दें खट्टा-मठ्ठा |
ऋद्धि-सिद्धि सम्पत्ति, होय फिर सुखी जमाना |
मंगलमय नववर्ष, होय शुभ सोलह आना ||
दोहा
मंगलमय नव-वर्ष हो, आध्यात्मिक उत्कर्ष ।
बढे मान हर सुख मिले, विकसे भारत वर्ष ॥
दोहा
मंगलमय नव-वर्ष हो, आध्यात्मिक उत्कर्ष ।
बढे मान हर सुख मिले, विकसे भारत वर्ष ॥