Monday, 25 April 2011

ठोकिये फ़ौरन गुल्ली

                    
औरन की फुल्ली लखैं , आपन  ढेंढर  नाय
ऐसे   मानुष   ढेर  हैं,   चलिए  सदा  बराय     
चलिए सदा बराय,  काम  न अइहैं भइया
करिहैं न सहयोग, जरुरत परिहै  जेहिया
कह 'रविकर' समझाय, ठोकिये फ़ौरन गुल्ली 
करिहैं   न  बकवाद,   देख  औरन  की फुल्ली

फुल्ली = बहुत ही छोटी गलती 
ढेंढर = ढेर सारा दोष
                     

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