औरन की फुल्ली लखैं , आपन ढेंढर नाय
ऐसे मानुष ढेर हैं, चलिए सदा बराय
चलिए सदा बराय, काम न अइहैं भइया
करिहैं न सहयोग, जरुरत परिहै जेहिया
कह 'रविकर' समझाय, ठोकिये फ़ौरन गुल्ली
करिहैं न बकवाद, देख औरन की फुल्ली
फुल्ली = बहुत ही छोटी गलती
ढेंढर = ढेर सारा दोष
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