18-11-1994 की वो पाती, जो पाती तो - -
हम जानते हैं 'रविकर', जिस चीज की जरूरत
जो ढूंढ़ते हो आशिक - महबूब खूबसूरत !
न खूबसूरत हूँ मैं, गबरू-जवान इतना
पर प्यार पूरा पाए, तू चाहती है जितना
तुझसे न कुछ भी चाहूँ , चाहूँ तो बात इतनी
मीठी औ मद्धिम बोली, मधु में मिठास जितनी
इक आँच सी लगे है, जो पास तेरे होता
तू साथ मेरे होती, सपने रहूँ पिरोता
मस्ती तुम्हारी देखी तेरा बदन निहारा
ऐ जान जाने-जाना, दे दे तनिक सहारा
तुझ सा न मैंने कोई, है खूबसूरत देखा
मलमल सी काया सुन्दर, हाथों की भाग्य-रेखा
गर हो इजाजत तेरी, इक बार छू के देखूं
इक बार छू के देखूं , दो बार छू के देखूं
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