हाथ में लेकर के छतरी तन रहे,
धूप चेहरे पर चमक श्रम-कन रहे |
बरसात की न दूर तक सम्भावना,
और चेहरे पर करें वे छाँव ना |
वीर सैनिक की लिए हैं भावना
आप खुद रखवार अपने बन रहे |
हाथ में लेकर के छतरी तन रहे ||
सावधानी ले बरत ऐ चेंगडों !!
हुश्न के चक्कर में बिलकुल मत पड़ो
शर्म से धरती के भीतर जा गड़ो
अन्यथा, कुछ वर्ष जेलों में सड़ो |
नियत को रक्खो नियंत्रित मन रहे |
हाथ में लेकर के छतरी तन रहे ||
हाथ में लेकर के छतरी तन रहे । ये सीख चेंगडों को दी जारही है पर ये चेंगडे होते क्या हैं ।
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